विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 के नियम (10) के अनुसार, वितरण लाइसेंसधारी सभी उपभोक्ताओं को चौबीसों घंटे और सातों दिन बिजली की आपूर्ति करेगा। हालांकि, आयोग कृषि जैसे उपभोक्ताओं की कुछ श्रेणियों के लिए आपूर्ति के कम घंटे निर्दिष्ट कर सकता है। ये नियम शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों सहित सभी राज्यों और सभी क्षेत्रों के लिए लागू हैं।
भारत सरकार ने सभी घरों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति उपलब्ध कराने के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए राज्यों की सहायता करने के लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई), एकीकृत विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस), प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) आदि जैसी योजनाएं शुरू की हैं। झारखंड राज्य में वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए 11,391 करोड़ रुपये की परियोजनाएं कार्यान्वित की गईं, जिनमें नया/उन्नयन सबस्टेशन, एचटी और एलटी लाइनों का उन्न्यन, एबीसी और भूमिगत केबलिंग आदि जैसे कार्य शामिल हैं। डीडीयूजीजेवाई के अंतर्गत कुल 2,583 गांवों का विद्युतीकरण और सौभाग्य के अंतर्गत 17,30,708 घरों का विद्युतीकरण किया गया।
इसके अलावा, भारत सरकार ने वित्तीय रूप से सतत और प्रचालनात्मक रूप से दक्ष वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार लाने के उद्देश्य से पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) शुरू की है। 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक पांच वर्षों की अवधि में इस योजना का परिव्यय 3,03,758 करोड़ रुपये है जिसमें भारत सरकार की ओर से 97,631 करोड़ रुपये की सकल बजटीय सहायता शामिल है। झारखंड राज्य के लिए वितरण अवसंरचना कार्यों और स्मार्ट मीटरिंग कार्यों के लिए 4,181 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई है।
इसके अलावा, पीएम-जनमन (प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान) के अंतर्गत सभी चिन्हित पीवीटीजी परिवारों को योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार ऑन-ग्रिड बिजली कनेक्शन के लिए आरडीएसएस के अंतर्गत लिया जा रहा है। झारखंड राज्य के लिए अब तक 9,134 पीवीटीजी घरों के विद्युतीकरण के लिए 53.39 करोड़ रुपये की राशि के कार्यों को मंजूरी प्रदान की गई है।
इसके अतिरिक्त, पिछले 5 वर्षों में, देश के पूर्वी क्षेत्र (झारखंड का हिस्सा) में चालू की गई कुल 6,220 मेगावाट थर्मल क्षमता में से झारखंड राज्य को आवंटित विद्युत 613 मेगावाट है। इसके अलावा, 800 मेगावाट की तीन इकाइयां पतरातू में निर्माणाधीन हैं और 660 मेगावाट की एक इकाई झारखंड राज्य के उत्तरी कर्णपुरा में निर्माणाधीन है। 660 मेगावाट की एक इकाई बाढ़, बिहार में निर्माणाधीन है। इन परियोजनाओं में झारखंड का कुल हिस्सा लगभग 2,272 मेगावाट है।