पटना: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “JDU के लोगों से मेरा एक सवाल है कि बिहार महागठबंधन की सरकार के दौरान जो हमने आरक्षण बढ़ाया था क्या वे उसे नौंवी अनुसूची में डालना चाहते हैं या नहीं?…” तेजस्वी यादव ने कहा, “…हम लोगों ने तय किया कि हम लोग आरक्षण को बढ़ा दें क्योंकि जितनी जिसकी आबादी उसी हिसाब से उसे उसका उतना अधिकार मिलना चाहिए… लेकिन इतने में हमारे चाचा जी(नीतीश कुमार) पलट गए।”
साथ ही तेजस्वी यादव ने कहा -“हम लोग नौकरी दे रहे थे, आरक्षण बढ़ा रहे थे, जाति आधारित जनगणना करवा रहे थे… उन्हीं के मंत्री ने मेरे साथ बैठकर प्रेस वार्ता की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार कहते थे कि जब हम जातिगत जनगणना करवा रहे थे तो भाजपा वाले कोर्ट चले गए…” तेजस्वी यादव ने कहा, “आखिर क्यों सभी बड़े समाजवादी नेताओं ने समय-समय पर जाति आधारित जनगणना की बात की?”…
उन्होंने कहा कि-“आज भी समाज में भेदभाव होता है। जाति का नाम लेकर गाली दी जाती है… दलित के बेटे की शादी में वे मंदिर में पूजा नहीं करेगा। यह क्या व्यवस्था है?… आज जब हम लोग गिनती की बात करते हैं तो वो लोग कहते हैं कि हम बाटने की बात कर रहे हैं… हम उनसे पूछना चाहते हैं कि लोग अपने नाम के आगे नाम लिखते हैं… ये क्या तेजस्वी, लालू या राष्ट्रीय जनता दल ने बनाया? किसने यादव, मिश्रा, दास या कुशवाहा बनाया। हम तो कह रहे हैं कि चाहें कोई भी जाति के लोग हों आज उनकी स्थिति क्या है यह पता करो। यह पता करो कि गरीबी सबसे ज्यादा किस जाति में है उसका पता करो और फिर उस जात को गरीबी से निकालो। हम केवल इतना ही चाहते हैं।”
वहीं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने RJD नेता तेजस्वी यादव के बयान पर कहा, “हमारा सवाल है कि जब उनके माता-पिता 15 साल बिहार के शासन में रहे तो उस समय वे यह क्यों भूल गए या जब वे (तेजस्वी यादव) खुद उपमुख्यमंत्री थे, जब उन्होंने कहा कि इतने शिक्षकों की भर्ती हुई है, क्या उस समय वे इसे भूल गए थे? और आज जब वे सत्ता से बाहर हैं, तब उन्हें यह याद आ रहा है।”