बिहार में पुल टूटने पर गरमाई सियासत, आरजेडी बोली-भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह हैं नीतीश कुमार, जीतन राम मांझी क्या बोले ?

बिहार में पुल टूटने पर गरमाई सियासत, आरजेडी बोली-भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह हैं नीतीश कुमार, जीतन राम मांझी क्या बोले ?

बिहार में करोड़ों की लागत से पुल पानी में समा गया। तीसरी बार निर्माणाधीन सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल टूटने पर सियासत भी जारी है। सोशल मीडिया X पर आरजेडी ने नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला।

आरजेडी का कहना है कि- “𝟏𝟕𝟏𝟎 करोड़ की लागत से बन रहा पुल तीसरी बार गिरा। बिहार में नीतीश कुमार और पुलों के बीच गिरने का अनैतिक कंपीटिशन चल रहा है। विगत दो महीनों में बिहार में 𝟑𝟎 से अधिक पुल गिर चुके है क्योंकि नीतीश कुमार संस्थागत भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह हैं।”

साथ ही आरजेडी ने कहा- “𝟐𝟎𝟏𝟒 चुनाव पूर्व आनन-फानन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शिलान्यास किया गया 𝟏𝟕𝟏𝟎 करोड़ से अधिक की लागत से 𝟏𝟎 वर्षों से निर्माणाधीन पुल ने तीसरी बार गिरकर हैट्रिक बनाई। अप्रैल 𝟐𝟎𝟐𝟐 में हवा के झोंके से भी यह पुल गिरा था, अब पानी के झोंके से गिरा। 𝐏𝐒- नीतीश कुमार कथित रूप से इतने ईमानदार है कि 𝟑.𝟔 𝐊𝐌 लंबा पुल 𝟏𝟎 साल में नहीं बन पाए और 𝟑 बार गिर गया। बेचारे 𝐂𝐌 इसका दोष सृष्टि और 𝟐𝟎𝟎𝟓 से पूर्व की अपनी दृष्टि को देकर सुशासन बाबू बन सकते है”!

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने निर्माणाधीन सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल के पिलर नंबर 9 का एक हिस्सा ढहने पर कहा, “इसकी जांच होनी चाहिए। आखिर कमी कहां है जिसके कारण पुल टूट रहे हैं। सिर्फ एक पुल नहीं बल्कि कई पुल टूट चुके हैं, ऐसा लगता है कि निर्माण में कोई कमी है, इसकी जांच होनी चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए। हम यह भी कहना चाहते हैं कि आखिर इसी साल इतने सारे पुल क्यों टूट रहे हैं? कहीं कोई राजनीतिक षड्यंत्र तो नहीं है कि सरकार को बदनाम करने के लिए ये घटनाएं हो रही हैं।”

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, “नामामि गंगे के नाम पर कितना पैसा बह गया? बिहार में केवल एक पुल नहीं बहा है कई पुल बहे हैं। अगर देश में सबसे ज्यादा पुल कहीं बहा है तो शायद बिहार में बहा है। उसका कई कारण है कई बार नदियां अपना रास्ता बदल देती है। मैंने एक खबर देखी थी की जहां पर पुल है वहां नहीं बह रही थी, नदी कहीं और बह रही थी। जब नदियां रास्ता बदलती है तो उसका जिम्मेदार कौन है?… उससे बड़ा सवाल है कि नमामि गंगे और मां गंगा की सफाई के नाम पर जो हजारों करोड़ रुपए आए वो साफ हो गए उसका क्या ?”

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