अमर तिवारी की स्पेशल रिपोर्ट
धनबाद का चर्चित घराना है सिंह मेंशन। उसकी बहु का नाम है रागिनी सिंह। उनकी अपनी व्यवहार कुशलता, शालीनता, संवेदनशीलता और मिलने के अंदाज उन्हें सियासत की दांवपेंच से तन्हा खड़ा करता है। वो साधारण किसान परिवार की बेटी हैं। दबंग घराने की बहू बनकर आई तो मधुर राग के साथ। विधायक रह चुके पति संजीव सिंह लंबे समय से जेल में है।
झरिया से विधानसभा चुनाव में हार के बाद रागिनी सियासत के हर रंग को समझने लगी है। सियासत में महज कुछ सालों के अनुभव के बाद रागिनी के पास हर तरह के राग हैं। झरिया में किसी को दुख दर्द हुआ तो रागिनी इस कदर पेश आ रही हैं मानो वह उनके परिवार से हो।समय और हालात के अनुसार दबंग अंदाज भी है। आखिर जेठानी विधायक से मुकाबला जो है। जेल में कई सालों से बंद पति संजीव सिंह के साये से दूर रहते हुए रागिनी सिंह ने खुद के बूते सियासत की नींव पर बुलंद निर्माण का कार्य जारी रखा है। आज उनकी पहचान किसी के भी दुख में दुखी होने वाली महिला की है,उनका कोई भी मुलाकाती या फरियादी उनसे मिलकर निराश वापस नहीं जाता।
वर्ष 2019 में चुनाव हारने के बाद भी रागिनी ने मैदान कभी नहीं छोड़ा,हमेशा झरिया की सियासी जमीन में उर्वरा डालकर उसे और अधिक उपजाऊ बनाने में लगी रही। यही वजह है कि हाल में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में रागिनी ने आलोचकों को आइना दिखा दिया और भाजपा उम्मीदवार ढुलू महतो को भारी बढ़त दिलायी।महज तीन महीने बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव होने है।वहां कांग्रेस अपने कई कारणों से ढीली पड़ी है जिसमें विधायक की कड़वा बोली और एरोगेंस प्रमुख कारण है।अंग्रेजीदां विधायक बोलती तो फर्राटे हैं, लच्छेदार भाषण के लहजे भी जानदार होते हैं,लेकिन आमजन को इससे कहीं ज्यादा जरूरी होता प्रेम की दो टूक बोली। इसमें कंजूसी के कारण लोगों में मरमरिंग है। इसी का लाभ मिलेगा रागिनी सिंह को।
बहरहाल रागिनी के कदम सीढ़ी दर सीढ़ी मंजिल की ओर बढ़ रहे हैं।रागिनी के मनमोहक राग और पूनम की चांद के बीच झरिया की सियासत का रंग अंदर अंदर बदल रहा है। वहां एंटी इनकंबेंसी का भी खतरा है।