अमर तिवारी की रिपोर्ट
धनबाद जिला के बाघमारा पुलिस अनुमंडल के अधीन एक बड़ा थाना है कतरास। कोयले के खानों के बीच बसा है यह थाना। इस्ट कतरास, कैलूडीह, रामकनाली, सलानपुर, आकाशकिनारी और तेतुलिया माइंस का हिस्सा इस थाना के कार्यक्षेत्र में आता है। लंबा चौड़ा क्षेत्र होने के कारण थानेदार एक दो निशाचर और तहसीलदार रखे बगैर चल नहीं सकता।
कतरास के जानकार बताते हैं कि वर्तमान थानेदार असित सिंह के हैं दो हमसफ़र, एक चौबे तो दूसरा मियां अनवर। कोयला, लोहा, बालू, मवेशी या और कुछ, सबमें अनवर का हस्तक्षेप रहता है। चौबे जी सहयोगी की भूमिका निभाते हैं। अनवर तो है मामूली गार्ड का हवलदार, लेकिन रुतबा किसी अधिकारी से रत्तीभर कम नहीं। कोयले का काम चल ही रहा है, लोहा टप ही रहा है, बालू की गाड़ियां तय माहवारी के बल पर कतरास के कोने कोने रोज घुस रही है। अब यहां मवेशी तस्करी का नया खेल शुरू हुआ है।
बगल में गौशाला और कई संस्था-संगठन होने के बावजूद गौ वंश लदे पिकअप सेटिंग से खूब पार हो रहे हैं।कुर्सी सलामत रहे, इसलिए शाम को नेताओं के साथ चाय की चुस्की भी थाने में खूब चलती है। फरियादी घंटों बैठे रहें कोई बात नहीं, अंदर तथाकथित वीआईपी के साथ साहब की हंसी और किलकारी की आवाज साफ बाहर आती है। ऊपर बैठे गूंगे बहरों की उपेक्षा के कारण दबे कुचले गरीब लाचारों की आवाज नक्कारखाने में तूती साबित हो जाती है। एसडीपीओ आनंद साहब की ज्योति का प्रकाशपुंज यहां तक पहुंचने की उम्मीद में आसमां निहार रहे हैं जरूरतमंद लोग।
चर्चा तो ये भी है कि टुंडी के सुदूर जंगली इलाक़ों से रोज कोयला काटकर दिहाड़ी करने वालों से भी मियां अनवर सप्ताह वसूली करता है। बंद खदानों के भीतर जान जोखिम में डालकर कोयला काटने और निकालने वालों पर भी वह बाज की तरह झपट्टा मारता और और गाढ़ी कमाई का हिस्सा लेता है।