अमर तिवारी की रिपोर्ट
धनबाद, झारखंड- सामान्यतः किसी पुलिस निरीक्षक को कार्बाइनधारी अंगरक्षक नहीं मिलता है, लेकिन यदि आप रसूखदार हैं, कमाउपूत हैं तो कायदे कानून का कोई मतलब नहीं होता। सारे नियम शिथिल हो जाते और मर्जी का फार्मूला लागू हो जाता। कतरास के थानेदार इंस्पेक्टर हैं आसित कुमार सिंह। इनके अंगरक्षक का नाम है मो. अनवर। ये कार्बाइनधारक हैं। कहने को तो साये की तरह साथ रहने वाला बॉडी गार्ड हैं, लेकिन अधिकांश समय निशाचर की तरह रातजगा कर करेंसी छापने में गुजरता है। कभी मनोज यादव, कभी अमित यादव तो कभी चंचल के साथ। गंध, रूप, स्वाद, स्पर्श और ध्वनि से अनवर मियां अगले का सारा हुलिया और जन्मकुंडली जान जाता है।
कहां कौन कोयला काट रहा है, किधर लोहा कट रहा है, अनवर साहब गंध और आवाज से मंजिल मुकम्मल कर लेते हैं। कोई लाख सचाई छुपाने की तरकीब ढूंढे, अनवर मियां रूप (चित्र ) देखकर चरित्र पढ़ लेता है। इनकी ज्ञानेन्द्रियां इतनी जीवंत और अलर्ट है कि नोटों की गड्डियां स्पर्श करने से पहले ये सिर्फ बंडल देखकर राशि का वजन माप लेते हैं। वशीकरण के मास्टर हैं मियां अनवर। हर बालू, लोहा, कोयला, दारू के पर्चुनियां, नारकोटिक्स और ड्रग्स के कारोबारी का पत्ता हिलने से पहले अनवर को पक्की खबर हो जाती है।
अनवर से बचके वन का गिद्धर जाएगा किधर। बहुत सारे गुण हैं अनवर के, इनसे थानेदार को कई सहूलियतें होती है। अनवर इंस्पेक्टर साहब के लिए एसेट्स हैं, लाइबिलिटी कतई नहीं, लेकिन कतरास का पूरा इलाका अनवर के तुगलकी फरमान और मानमर्दन वाले व्यवहार से त्रस्त है। थानेदार को लोग कम जानते हैं, हर जुबान पर साहब के लेफ्टिनेंट अनवर का नाम है। फिलहाल कतरास इलाके का सबसे चर्चित नाम और चेहरा मियां अनवर का ही है। बहरहाल ये सुपर थानेदार की भूमिका में रहते हैं। इनका साफ कहना होता है कि आर्थिक अपराध के सारे रिकॉर्ड तोड़ दो, सिर्फ रेप और हत्या क्षम्य नहीं होगा।