आपातकाल को लेकर सियासत जारी है। केंद्र सरकार द्वारा आपातकाल 1975 की याद में 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने की घोषणा पर JDU प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने कहा, “JDU अमित शाह द्वारा जारी अधिसूचना का स्वागत और अभिनंदन करता है। 25 जून भारत के इतिहास का काला दिन है…”
वहीं केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “उन्हें(कांग्रेस) सिर्फ़ सुर्खियों की चिंता है, उन्हें संविधान की चिंता नहीं है… क्या वे अभी भी आपातकाल का बचाव कर रहे हैं?… भविष्य में ऐसा(आपातकाल) नहीं होना चाहिए। इसी मंशा के साथ ‘संविधान हत्या दिवस’ की घोषणा की गई है। उन्हें इसका सम्मान करना चाहिए…”
केंद्र सरकार द्वारा आपातकाल 1975 की याद में 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने की घोषणा पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “…जो पिछले 10 साल से प्रतिदिन हो रहा है वो संविधान की हत्या है। ‘संविधान की हत्या’ शब्द कहने में ही हमें बहुत परेशानी होती है… जिस सरकार की अधिसूचना में ‘संविधान’ और ‘हत्या’ शब्द एक साथ आ रहा हो उस सरकार की क्या मानसिकता होगी आप सोच सकते हैं…”
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, “…जनता वह नहीं जो उन्हें(भाजपा) लगता है… इस लोकतंत्र और इस देश की खूबसूरती है कि लोग काफी संवेदनशील होते हैं और बर्दाश्त करने की भी क्षमता रखते हैं लेकिन जब जनता अपने पर आती है तो परिणाम समय-समय पर दिखते हैं…”
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा, “संविधान हमारे देश के लिए एक बहुत पवित्र ग्रंथ है…और उसी के अनुसार हमारा देश चलता है…25 जून 1975 में कांग्रेस के शासन में संविधान को दरकिनार कर दिया गया, आपातकाल घोषित कर दिया गया…और जो लोग इसके खिलाफ बोले, उनको या तो मार डाला गया या जेल में बंद कर दिया गया…अब 25 जून को आज की भारत सरकार ने संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, तो मैं समझता हूं कि देश के लोग आज धन्यवाद दे रहे होंगे क्योंकि संविधान की आगे कोई इस प्रकार से हत्या ना कर सके…इसलिए उस दिवस को याद रखना है ताकि आने वाले दिनों में आज जो संविधान की चर्चा हो रही है, हम उसके अनुसार चल सकें और समाज को सुरक्षित रख सकें…”