केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में आईएसए इस्पात सम्मेलन के पांचवें संस्करण में अपने संबोधन के दौरान वर्ष 2034 तक 500 मिलियन टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया। उन्होंने उद्योग जगत के प्रमुखों से आग्रह करते हुए कहा कि वे कार्बन-मुक्ति के माध्यम से अर्थव्यवस्था पर ध्यान देते हुए अपनी ऊर्जा केंद्रित करें, क्योंकि हरित इस्पात की मांग बढ़ेगी।
केंद्रीय मंत्री ने घरेलू इस्पात उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के लिए तीन सुझाव दिए हैं। सबसे पहले, न्यूनतम उत्सर्जन, उच्च उत्पादकता व उच्च गुणवत्ता की दिशा में नए और बेहतर तरीके खोजें, ताकि भारत विश्व में एक अनूठा इस्पात निर्माता बन सके। दूसरा, उन्होंने इस्पात उद्योग से उत्पादन को अनुकूलित करने, अपशिष्ट को कम करने और कार्य कुशलता में सुधार करने के उद्देश्य से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने का आग्रह किया। तीसरा, केंद्रीय मंत्री ने उद्योग जगत से घरेलू उत्पादन के लिए स्वदेशी उपकरणों को एकीकृत करने का भी आग्रह किया।
पीयूष गोयल ने कहा कि यह भारत का दशक है, जिसमें विभिन्न उद्योगों के बीच नवाचार, समावेश, सहयोग एवं सहकारिता को दर्शाया जाएगा, ताकि विकसित भारत के स्वप्न को साकार किया जा सके। उन्होंने भारतीय इस्पात को ‘मेड इन इंडिया’ उत्पाद के रूप में ब्रांड करने के लिए इस्पात उद्योग जगत की भी सराहना की। यह हमारी बढ़ती आत्मनिर्भरता का संकेत है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में बना और खपत किया जाने वाला इस्पात हमारी राष्ट्रवादी भावना को दर्शाता है।