अमर तिवारी की रिपोर्ट- धनबाद, झारखंड : मार्क्सवादी समन्वय समिति यानी एमसीसी (मार्कसिस्ट कोर्डिनेशन कमिटी) का आज झारखंड के धनबाद में राष्ट्रीय वाम दल भाकपा- माले के साथ विधिवत विलय हो गया।इसके साथ ही मासस का 52 वर्षों का अपना स्वतंत्र सफर और अस्तित्व एक इतिहास बन गया।
29 अप्रैल 1972 को दिग्गज वामपंथी नेता एके राय द्वारा स्थापित पार्टी का नौ सितंबर 2024 को धनबाद के गोल्फ मैदान में माले में विलय हो गया। इसके साथ ही एक समय धनबाद की बड़ी वाम ताकत के रूप में पहचान रखने वाली पार्टी इतिहास के पन्नों में सिमट गई। गोल्फ मैदान एक बार फिर धनबाद में एक बड़े राजनीतिक परिवर्तन का गवाह बना। पिछले लगभग छह माह से मासस का माले में विलय को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया। मासस का औपचारिक रूप से भाकपा माले में विलय हो गया।अब मासस के नेता, कार्यकर्ता माले के सदस्य कहे जायेंगे। एक समय धनबाद में मासस की तूती बोलती थी। मासस सुप्रीमो एके राय तीन बार धनबाद के सांसद रहे। साथ ही निरसा व सिंदरी विधानसभा सीट से कई बार मासस प्रत्याशी विजयी हुए। गठबंधन की राजनीति के दौर में पिछले विस चुनाव में मासस ने अकेले चुनाव लड़ा था। माले में विलय के बाद धनबाद में लाल झंडा एक बार फिर से ताकतवर हो सकता है। कई अन्य वाम संगठनों से भी एकता हो सकती है। इसका असर आम राजनीति से लेकर मजदूर राजनीति तक पर पड़ना तय है।
इस निमित्त दोनों दलों की ओर एकता रैली निकाल कर गोल्फ ग्राउंड में एक महती सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर आरा के सांसद सुदामा प्रसाद ने कहा कि आज देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है जब दो दलों की आत्माएं एक शरीर में मिल गई। उन्होंने कहा हम दूने ताकत के साथ राजनीति के मैदान में दिखेंगे।अब झारखंड के आसन्न विधानसभा चुनाव में हमारी ताकत का अहसास भाजपा को होगा,हम इंडी गठबंधन के लोग भाजपा का सूपड़ा साफ कर देंगे।मौके पर मासस के केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व विधायक आनंद महतो, अरूप चटर्जी, माले विधायक विनोद सिंह सहित दर्जनों नेता और हजारों कामरेड शामिल थे।