टुंडी में मुंडी घुसाने की फिराक में आजसू की राजनीति कुंद करने में लगे हैं पार्टी सुप्रीमो सुदेश

टुंडी में मुंडी घुसाने की फिराक में आजसू की राजनीति कुंद करने में लगे हैं पार्टी सुप्रीमो सुदेश

अमर तिवारी, धनबाद : टुंडी सीट को एनडीए ने फिलहाल होल्ड पर रखा है। इस सीट को लेकर भाजपा और आजसू के बीच अंदरूनी सर्कस चल रहा है। आजसू सुप्रीमो के संज्ञान में एक सोची समझी रणनीति के तहत हाइड एंड आउट का ये हाई प्रोफाइल खेल तैयार किया गया है।लेकिन ये खेल सुखद नहीं बल्कि आत्मघाती परिणाम देने वाला साबित होगा। सुदेश महतो सिल्ली से टुंडी आकर चमत्कार की सोच में गोते लगा रहे हैं, लेकिन उनके इस कदम के क्या परिणाम और अपेक्षित आशंकाएं संभावित हैं, मैं उनपर बारीकी से प्रकाश डालने की कोशिश कर रहा हूं।

मालूम हो कि झारखंड अलग राज्य की लड़ाई में उत्तरी छोटानागगपुर की धरती काफी डोमिनेंट रही थी। शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो, आनंद महतो, जलेश्वर महतो,पार्वती चरण महतो,शंकर किशोर महतो,दामोदर महतो, जगन्नाथ महतो,लालचंद महतो,शक्ति महतो,मथुरा महतो,हरि महतो,शिवा महतो सहित दर्जनों कुर्मी नेताओं ने अलग राज्य की लड़ाई को धार देने का काम किया था। इन्हें सिंहभूम के कुछ वीर बांकुरों का सहयोग मिला था। कालांतर में उत्तरी छोटानागपुर के जंगली इलाकों में लालखंड का अभ्युदय हुआ,लेकिन लालपट्टी के बीहड़ों में उग्रवादी गतिविधियों को संचालित करने वालों की सहानुभूति भी इन्हीं इलाकों के कुर्मी नेताओं के साथ रही।इस बीच झामुमो में कुर्मी नेताओं की हैसियत को कमतर करने की कोशिश के मध्य आजसू की रफ्तार तेज होने लगी। तमाम अधिकारी और बुद्धिजीवियों का साथ आजसू को मिलने लगा। आजसू ने झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में अपना पांव फैलाना शुरू किया। लेकिन इस पार्टी के सृजन के समय आग उगलने वाले सूर्य सिंह बेसरा,प्रभाकर तिर्की,राजेंद्र मेहता सरीखे बारूद नेता हाशिए पर धकेल दिए गए। खैर जो हो आजसू ने अपनी गतिविधियां निरंतर जारी रखा, लेकिन आजसू भाई भतीजावाद के छोटे से घेरे में सिमटता गया। इसकी चिंगारी कुर्मी बहुल इलाकों में सुलगती रही,जिसे टाइगर जयराम ने हवा दे दी, लोगों की भावनाओं को भड़काया और एक तूफान खड़ा कर दिया।

आज आजसू से बिदके सारे नौजवान जयराम के साथ खड़े हो गए हैं, उन्हें जयराम में आशा और उम्मीद दिख रहा है। जयराम के संग लालपट्टी इलाकों के लोग एक पांव में खड़े हैं। लोकसभा चुनाव में डुमरी के नावाडीह,गोमिया के सुदूर इलाके और टुंडी का पीरटांड़ इस बात का गवाह है कि उन इलाकों में लोगों ने जयराम के पक्ष में वोटों की बारिश कर दी है। आज झारखंड के सारे सदान बड़े छोटे अधिकारी, दारोगा,पुलिस,शिक्षक,कर्मचारी दिल से जयराम को मदद कर रहे हैं,क्राउड फंडिंग के अहम भागीदार बन रहे हैं। इस हालात में सुदेश महतो का टुंडी से लड़ना एक बेहद आत्मघाती कदम होगा।राजनीति है,कुछ भी हो सकता है,संभव है कि वे सिल्ली – टुंडी दोनों जगह खुदा न खासते मैदान गंवा बैठे तो क्या होगा? सुप्रीमो सीधे हवा हो जाएंगे। ऐसा क्यों नहीं कि टुंडी से यहीं के किसी कैडर को उतारा जाए। अगर वे सिल्ली हार भी जाते हैं और यहां से आजसू विजयी होता है तो उम्मीदवार से इस्तीफा दिलाकर वे यहां विधायक बन सकते हैं, लेकिन ऐसी राजनीतिक महत्वाकांक्षा कि किसी का भी हक मार लो। यहां के लिए वे बाहरी होंगे और कुर्मी समाज को डोमिनेट करने वाला यह इलाका उन्हें नहीं पचा पाएगा। उन्हें काफी मंथन कर टुंडी में माथा लगाना चाहिए।

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