भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 16 से 17 जुलाई, 2024 तक मॉरीशस गणराज्य का आधिकारिक दौरा किया। अपनी यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री ने राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) में मॉरीशस सिविल सेवा अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करने की व्यवहार्यता का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव पर अमल करते हुए 6 अगस्त, 2024 को प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) और मॉरीशस गणराज्य के पब्लिक सर्विस मंत्रालय के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई।
डीएआरपीजी के सचिव वी. श्रीनिवास ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और मॉरीशस पब्लिक सर्विस सेक्रेटरी के. कोन्हे ने मॉरीशस के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। बैठक में दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया और कार्मिक प्रबंधन एवं शासन में सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।
बैठक के दौरान एनसीजीजी में मॉरीशस सिविल सेवा अधिकारियों के लिए कार्मिक प्रशासन, शासन और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में सहयोग की रूपरेखा पर चर्चा की गई। सहयोग के क्षेत्रों में सुशासन संबंधी कार्य प्रणालियों को साझा करना, कार्मिक प्रबंधन एवं शासन में सूचनाओं का आदान-प्रदान करना और मॉरीशस सिविल सेवा अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का आयोजन करना शामिल है।
भारतीय पक्ष ने सीपीजीआरएमएस सुधारों, राष्ट्रीय ई-सेवा वितरण मूल्यांकन का उपयोग करके ई-सेवाओं की बेंचमार्किंग, लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कारों के माध्यम से योग्यता को मान्यता देने, संस्थानों के डिजिटल परिवर्तन और नागरिकों के डिजिटल सशक्तिकरण जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से “अधिकतम शासन-न्यूनतम सरकार” की नीति को लागू करने में भारत सरकार द्वारा की गई प्रगति को प्रदर्शित किया।
चर्चा मॉरीशस सिविल सेवा की क्षमता निर्माण संबंधी आवश्यकताओं पर केंद्रित थी और अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवकों के लिए भारत की सबसे बड़ी क्षमता निर्माण संस्थाओं में से एक के रूप में एनसीजीजी की ताकत पर प्रकाश डाला। मॉरीशस पक्ष ने सीपीजीआरएमएस के माध्यम से शिकायत निवारण में एआई/एमएलआई का उपयोग करने में रुचि व्यक्त की। सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए मॉरीशस से एक वरिष्ठ-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के सितंबर 2024 में भारत आने की उम्मीद है।