धनबाद सहित 13 जिलों में कोयला चोरी की गति तेज,पीठ पर पुलिस का हाथ !

धनबाद सहित 13 जिलों में कोयला चोरी की गति तेज,पीठ पर पुलिस का हाथ !

 

अमर तिवारी की स्पेशल रिपोर्ट

झारखंड के धनबाद सहित 13 जिलों में कोयले का अवैध खनन हो रहा है। इनमें लातेहार, हजारीबाग, रामगढ़, धनबाद, चतरा, गिरिडीह, बोकारो, रांची, दुमका, गोड्डा, पाकुड, पलामू और जामताड़ा जिला शामिल है। पिछले ढाई साल के दौरान इन 13 जिलों में कोयला के अवैध खनन को लेकर 2229 मामले दर्ज हुए हैं। गौरतलब है कि कोयले का काला खेल कई चरणों में होता है।

पहले चरण में बंद पड़े खदान या चालू खनन क्षेत्रों से गिरोह के सदस्य कोयला खनन कर एक स्थान पर एकत्रित करते हैं। दूसरे गिरोह के सदस्य एक निश्चित स्थान पर एकत्रित कोयले को साइकिल या मोटरसाइकिल या फिर पिकअप पर लोड कर गिरोह के संचालक के पास पहुंचाते हैं। जहां से गिरोह का संचालक ट्रकों पर लोड कर इसे बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश भेजता है। राज्य के बाहर अवैध कोयला को वैध तरीके से भेजने के लिए फर्जी चालान भी तैयार किया जाता है। या फिर एक ही चालान के माध्यम से कई वाहन अवैध तरीके से बाहर भेजे जाते हैं।

कोयले का सबसे ज्यादा अवैध खनन बीसीसीएल, सीसीएल,ईसीएल सहित अन्य कोल कंपनियों की बंद और खुली खदानों से होता है। इसके अलावा बंद मुहानों को फिर से खोदकर भी कोयले का अवैध खनन किया जाता है।अवैध खनन में तस्करों ने बाकायदा मजदूरों को भी दिहाड़ी में बहाल कर रखा है। वहीं चालू खदानों से भी अवैध खनन का दावा है। मुख्य रूप से कोयला के अवैध खनन रोकने की जवाबदेही बीसीसीएल, सीसीएल और ईसीएल की कंपनियों में तैनात सीआईएसएफ, जिला प्रशासन, पुलिस और वन विभाग की है।

हालांकि धनबाद में जिला प्रशासन द्वारा बनाये गए खनन टास्क फोर्स की टीम डीसी माधवी मिश्रा की सूचना और निर्देश पर लगातार अच्छा काम कर रही है। इस दौरान अवैध कोयला और बालू लदे असंख्य वाहन पकड़े गए,मुकदमे भी हुए और जुर्माना भी वसूला गया।लेकिन जिला प्रशासन की नजरों से ओझल होकर निचले स्तर की पुलिस आज भी यहां नोट छापने में लगी है। कई बंद पड़े माइंसों में आज भी अवैध उत्खनन जारी है।

मालूम हो कि इसके पूर्व के एसएसपी संजीव कुमार के कार्यकाल में कई बड़ी खान दुर्घटनायें भी हुई थी। तेतुलिया के एक खदान में दर्जनों लोग कोयला काटने के क्रम में चाल धंसने से जिंदा दफन हो गए।उन्हें बचाने के बजाय खदान के मुहाने को पुलिस और तत्कालीन एसडीएम ने मशीनों से पैक तक करवा दिया। ऐसी फुलप्रूफ व्यवस्था थी कि आवाज वहीं दब गई। उस दौरान खरबों का वारा न्यारा हुआ। बाघमारा से निरसा तक कई तस्कर और थानेदार करोड़ों के मालिक बन गए।यदा कदा फर्जी मुकदमें हुए,फिर ले देकर मामले रफा दफा हो गए। कोई कोयला तस्कर जेल नहीं गया।

फिर से एकबार वही खेल खेलने के लिए धनबाद के एसएसपी एच पी जनार्दनन और गिरीडीह के एसपी दीपक शर्मा को हटाने की मुहिम चलाई गई है। सत्ताधारी दल से लेकर विपक्षी इस मुद्दे पर एकसाथ हैं। इनके रहते तस्करों की दाल नहीं गल रही है। देखना है कि कोयला चोरी पर विराम लगता है या इसकी रफ्तार और तेज होती है।

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