अमर तिवारी की रिपोर्ट
धनबाद में कलाहीरा का गैरकानूनी काम फूल स्विंग में नहीं चल रहा है। इसे कायदे से चलाने के लिए ऊपरी स्तर पर बतौर सिक्युरिटी मोटी रकम अग्रिम के रूप में जमा करना पड़ता है। वार्ता से लेकर सिग्नल तक आपको डीएसपी राजकुमार साहब के दफ़्तर से मिलेगा। किसको हटाना है, किसको देना है और कहां का राजपाठ देना है, सब शहजादा के स्तर से ही होता है। आवश्यक पैसा जमा होने के साथ आप शासन-प्रशासन में सूचीबद्ध हो जाएंगे। फिर कोई वरीय पुलिस, डीएमओ या थाना की पुलिस आपको हाथ नहीं लगाएगी। आप निर्भय होकर कोयला की कटिंग, डंपिंग, ट्रांसपोर्टिंग और शिफ्टिंग मजे से करते रहिए।
वर्तमान व्यवस्था में 80 हजार रुपये प्रति ट्रक कप्तान को, 5 हजार प्रति ट्रक थानेदार को, रास्ते में पड़ने वाले थानों को माहवारी 40 हजार पासिंग के लिए। इसके अतिरिक्त माइनिंग विभाग को अलग से। लेकिन काम रफ्तार नहीं पकड़ रहा है। नागदा के कोकिंग कोल में वीएम हाई है। नकुल महतो और पीडी हाथ मल रहा है। 5-10 ट्रक से ज्यादा का लेवल नहीं है। यही कारण है कि टन्न गणेश वहां से हट गया। पीडी का साम्राज्य विस्तार हुआ है। सारा कोयला जिले के विभिन्न भट्ठों में गिरता है। ट्रकों को कांटा कराने की भी जरूरत नहीं। माल भरो और सीधे भट्ठों का रुख करो। भट्ठा में ही लोड गाड़ी का कांटा होने के बाद धड़ाधड़ खाली हो जाता है, फिर उसी कांटा में खाली गाड़ी का कांटा हो जाता है।
रतनपुर से लेकर, बलियापुर, चिरकुंडा, पंचेत और गोमो के भट्ठे में खूब कोयला टप रहा है। खनन और खनिज के सभी कस्टोडियन धनबाद में पोस्टिंग की कीमत वसूलने में लगे हुए हैं। एक अकेला ईमानदार जिलाधिकारी क्या कर सकता है। वो नकेल कसने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है, लेकिन यहां तो हर साख पे उल्लू बैठा है। संगठित आर्थिक अपराध को रोकने की शपथ लेने वाले तमाम अधिकारी इस रैकेट का हिस्सा बन गए हैं। खनन विभाग बालू की गाड़ियां पकड़कर लोगों का ध्यान भटकाता रहता है। उसमें भी कई माफियाओं को इसकी रियायत है। जिले का कौन सा वह हिस्सा है जहां रोज बालू नहीं पहुंच रहा है। ये माहवारी बंधवाने का खेल है। सैकड़ों हाइवा और हजार से ज्यादा ट्रैक्टर रोज बालू की ढुलाई में मगन है। इसी तरह खनन विभाग की सूची में कई चुनिंदा नाम हैं जो अवैध कोयला की हेराफेरी के किंग बने हुए हैं।
कोयला के धंधे की सेटिंग में एक रसूखदार भाजपा नेता शामिल हैं, लिहाजा माननीय टाइगर भी धनबाद में नहीं दहाड़ रहा है। हाउसिंग बोर्ड और कोठी के बीच संवाद संचार के तार मजबूती से जुड़े हैं। इसलिए पहले हाउसिंग बोर्ड से इजाज़त लीजिए, फिर पुलिस की विधि व्यवस्था से मिलिए और तब शुरू हो जाइए। ज्यादा सोरगुल नहीं, चुपचाप काम कीजिये। यहां भी खादी, खाकी और कोयला चोरों के बीच एक अभेद्य नेक्सस बना हुआ है।