प्रिंस खान की दहशतगर्दी और तबाही बेरमो हुई शिफ्ट, क्या हो सकते इसके मायने ?

प्रिंस खान की दहशतगर्दी और तबाही बेरमो हुई शिफ्ट, क्या हो सकते इसके मायने ?

सरहद पार विदेश में बैठकर धनबाद कोयलांचल में अपने गैंग्स का सिक्का चलाने वाले प्रिंस खान उर्फ छोटे सरकार का हौव्वा अब बोकारो शिफ्ट कर गया है। अब उसके गुर्गे बेरमो के विधायक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह के इलाके में दहशतगर्दी कर रहे हैं।मानो नए माननीय की ताजपोशी के बाद प्रिंस ने धनबाद को बख्श दिया है।

मालूम हो कि मार्च 2024 में प्रिंस ने एक ऑडियो जारी कर बाघमारा के तत्कालीन विधायक (लोकसभा धनबाद सीट के लिए घोषित भाजपा प्रत्याशी) ढुलू महतो की मुखालफत करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णा अग्रवाल और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय को कड़ी धमकी दी थी। इसके बाद कृष्णा ने बरवाअड्डा थाने में 30 मार्च को ढुलू महतो को लपेटते हुए दोनों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराया था। हालांकि हम उस ऑडियो के वास्तविक होने की पुष्टि नहीं करते हैं। यहीं से प्रिंस के राजनीतिक नेक्सस की चर्चा शुरू होती है।

जितनी मुंह उतनी बात। अलग अलग नजरिए से लोग जरीडीह, बेरमो की घटनाओं को देख रहे हैं। आखिर धनबाद के चारागाह को बाय बाय कर अनूप सिंह के इलाके में तबाही मचाने के क्या मायने हो सकते हैं। अपराध की दुनिया पर नज़र रखने वाले पत्रकार हों या फिर पुलिस के आला अधिकारी, वे मानते हैं कि अपना ख़ौफ़ बढ़ाने के लिए प्रिंस ख़ान जैसे गैंगस्टर हाई प्रोफ़ाइल लोगों यथा सरयू राय, रागिनी सिंह, एसएसपी को धमकी देने की रणनीति अपनाता है।

बीते लंबे समय से प्रिंस खान खाड़ी देश में बैठकर भारतीय करेंसी को दिरहम में तब्दील कर मौज मस्ती कर रहा है। लेकिन उसके गैंग के गुर्गे रह रह कर डॉक्टर, व्यापारी, ठेकेदार, आभूषण व्यवसायी, राजनेता आदि को धमकाते रहते हैं। कभी गोलियां तड़ताड़ाते तो कभी बम फोड़ते तो कभी व्हाट्सएप कॉल के जरिये सीधे भारी भरकम रंगदारी की रकम मांगते। जन समुदाय के उबलने पर पुलिस महकमा हरकत में आता और प्रिंस पर शिकंजा कसने का तकिया कलाम दुहराते हुए रेड और ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी होने की बात कहकर चेप्टर को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता।

मीडिया की भूमिका पर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के पूर्व डीसीपी एलएन राव कहते हैं, “प्रिंस खान हो या कोई और बड़ा अपराधी अगर मीडिया इनके बारे में छापना बंद कर दे तो पुलिस और जेल प्रशासन का आधे से ज्यादा काम कम हो जाएगा।”

प्रिंस खान के नाम का हौव्वा ज्यादा है या वाक़ई में वह बहुत ख़तरनाक है, ये पूछे जाने पर झारखंड के एक रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक बताते हैं, “सिर्फ़ हौव्वा मान लेना सही नहीं है। उसका ख़ौफ़ ही है कि जो खुद विदेश में है और उसके तीन दर्जन अनुआई जेल की सलाखों में बंद हैं।उसके बावजूद बाहर मौजूद अपने भरोसेमंद गुंडों और शूटर्स के ज़रिए जो अपराध चाहे, करवा डालता है। फिर चाहे किसी का क़त्ल हो या फिर कोई और वारदात।

पुलिस के कई आला अधिकारी कहते हैं कि प्रिंस की नेटवर्किंग ज़बरदस्त है, उसे ख़त्म करना पुलिस और जाँच एजेंसियों के लिए बेहद ज़रूरी है। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक तथाकथित छोटे सरकार जैसे अपराधियों पर कोई दबाव नहीं पड़ेगा।” धनबाद बार के महासचिव जितेंद्र कुमार कहते हैं कि प्रिंस खान जैसे युवा जब अपराध की दुनिया में उतरते हैं और वे जब पहली बार जेल में पहुंचते हैं तो अपराध की दुनिया का पहला सबक उन्हें जेल में पहले से बंद खूंखार अपराधी ही देते हैं।

जेल से बाहर आने पर उन्हें पुलिस-स्थानीय प्रशासन के भ्रष्ट और लापरवाह तंत्र से भी फ़ायदा मिलता है।” वे आगे कहते हैं कि प्रिंस जैसे गुंडे अपने घर की देहरी तो खुद ही लांघते हैं लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू ये भी है कि प्रिंस जैसों को पाल-पोसकर उन्हें बड़ा करके अपने-अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने में जेल-पुलिस या कुछ मामलों में पॉलीटिशियन भी पीछे नहीं रहते हैं।”

उनके मुताबिक़, “जिस दिन देश की पुलिस, पॉलिटिक्स, कानून बेख़ौफ़ होकर ईमानदारी से गुंडों को काबू करने की ठान लेंगे अपराध की दुनिया में प्रिंस जैसे लोग कभी ‘बड़े’ और ‘ख़ौफ़नाक’ बन ही नहीं पाएंगे। दरअसल सब तरफ से ढिलाई और लापरवाही होती है।इसी का नतीजा सामने है कि थाना-पुलिस, क़ानून ऐसा नहीं कर पाती है लिहाजा कल के छोटे-मोटे आपराधिक मानसिकता के युवा देखते-देखते कानून-पुलिस और समाज के लिए सिरदर्द बन जाते हैं।”

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