आलोक कुमार सिंह की रिपोर्ट
लातेहार, झारखंड : झारखंड के मुखिया संघ अपनी लंबित मांगों को लेकर पिछले दस दिनों से हड़ताल पर है, जिससे राज्यभर में पंचायतों के विकास कार्य ठप हो गए हैं। हड़ताल के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं पर असर पड़ा है, और लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। लातेहार जिले के मुखिया संघ के जिला अध्यक्ष सुभाष कुमार सिंह ने सरकार से जल्द से जल्द उनकी मांगों पर निर्णय लेने की अपील की है।
मुखिया संघ की प्रमुख मांगों में मुखियाओं को संपूर्ण अधिकार देना, वित्त आयोग की राशि समय पर जारी करना, केरल की तर्ज पर जनप्रतिनिधियों के लिए 30 हजार रुपये मासिक वेतन लागू करना और कार्यकाल के दौरान मृत्यु होने पर उनके परिवार को सहायता राशि प्रदान करना शामिल है। सुभाष कुमार सिंह ने कहा, “पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकारों और आर्थिक सुरक्षा की जरूरत है, ताकि वे बेहतर तरीके से अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें। केरल की तरह झारखंड में भी मुखियाओं को सम्मानजनक वेतन मिलना चाहिए।”
हड़ताल के चलते पंचायतों में मनरेगा जैसी योजनाओं पर भी प्रभाव पड़ा है। कई पंचायतों में ग्रामीण विकास से जुड़ी परियोजनाएं ठप हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में नाराजगी बढ़ रही है। वहीं, मुखिया संघ की हड़ताल को विभिन्न जिलों के जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। मुखिया संघ ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी।