धनबाद: झारखंड के धनबाद विधानसभा की सीट कांग्रेस के लिए सरदर्द बन गया है। पार्टी नेतृत्व प्रत्याशी चयन को लेकर भंवर में फंस गया है। पार्टी आलाकमान और हाईकमान के पास सारा फीडबैक है।लेकिन कुछ प्रादेशिक और कुछ अंतरप्रांतीय नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व को गुमराह कर रखा है। ऐसे में बहुत बारीकी से नेताओं के कामकाज और अतीत में उनके पार्टी के प्रति योगदान का पोस्टमार्टम चल रहा है। कहते हैं कि बड़े बड़े नेताओं ने लॉबिंग कर प्रत्याशी चयन को पेंचीदा बना दिया है।एक लॉबी ब्राह्मण के पक्ष में तो दूसरी लॉबी भूमिहार के लिए ताकत झोंके हुए है।
लेकिन लॉबिंग और थोपाथोपी से इतर धनबाद के बाग बगीचे,गली मुहल्ले,शहर और मुफस्सिल इलाके कुछ और कह रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अजय दुबे और मयूर शेखर झा के लिए प्रणव झा,प्रमोद तिवारी,अविनाश पाण्डेय जैसे दिग्गज लॉबिंग कर रहे हैं। वहीं प्रत्याशी के पैनल में एक और नाम अशोक सिंह का है।अशोक सिंह ने पिछले पांच वर्षों में धनबाद की धरती में काफी कुछ किया है।कोरोना जैसी आपदा के समय अशोक सिंह ने एक ऐसी लकीर खींची कि सारे नेता बौने हो गए।देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे लोगों के लिए मसीहा सा काम किया। जिलाभर में दवाई की मुफ्त व्यवस्था कराई,24×7 अपने निजी पैसे से एंबुलेंस सुविधा दी। भीषण गर्मी में 18 लाख लीटर शुद्ध पेयजल सिर्फ धनबाद शहर को दिया।कांग्रेस के हर कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर योगदान दिया।धनबाद सीट के असली दावेदार अशोक सिंह को ही माना जा रहा है।
पार्टी ने अगर श्री सिंह पर दांव लगाया तो परिणाम अनुकूल आने की पूरी संभावना है।पिछले पांच वर्षों में कोई नेता घर से बाहर नहीं निकला, बरसाती मेढ़क के तर्ज पर चुनावी त्यौहार में ऐसे नेता घर की दहलीज से पांव बाहर निकालते हैं। कोई दुबेजी हों या झाजी, वर्माजी हों या शर्माजी,चुनाव आने के साथ इनके पंख निकल आते हैं।ये उड़ने लगते हैं। खुद को बाज और औरों को गौरैया समझते हैं।ऐसे लोगों का धनबाद की जनता के सुख दुःख से कोई सरोकार नहीं रहता।पार्टी को सच्चाई का पता कर ही टिकट देने का फैसला लेना चाहिए,वरना भाजपा को धनबाद में वॉकओवर मिला हुआ है।