राजीव ओझा के लिए अड़ी बीजेपी
चेहरे हजार हैं, लेकिन टुंडी विधानसभा में कमल खिलाने के लिए BJP का भरोसा सिर्फ एक पर है और वो हैं राजीव ओझा। टुंडी के गली-मोहल्ले में आजकल राजीव ओझा की खूब चर्चा हो रही है और इसकी गूंज BJP आलाकमान तक पहुंच चुकी है, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर राजीव ओझा के लिए BJP टुंडी सीट पर अड़ी हुई है, हालांकि गठबंधन में आजसू इस सीट पर अपना दावा ठोक रहा है, लेकिन जब जनाधार की बात आती है, तो राजीव ओझा जन-जन के भरोसेमंद चेहरा बनकर उभरे हैं।
राजीव ओझा सबसे मजबूत दावेदार
टुंडी विधानसभा सीट को लेकर BJP और आजसू के लिए रस्साकशी चल रही है। ब्राह्मणों की आबादी को देखते हुए BJP राजीव ओझा के लिए वकालत कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में BJP की ओर से विक्रम पांडे ने 48 हजार वोट लाया था। ऐसे में माना जा रहा है कि टुंडी विधानसभा सीट एनडीए गठबंधन में BJP कोटे में रह सकती है, हालांकि सत्यनारायण दुधानी के बाद समय के साथ यहां BJP संगठन का पैनापन कमजोर होता चला गया। इसके पीछे का मुख्य कारण स्थानीय प्रत्याशियों की उपेक्षा और बाहरियों को संगठन द्वारा प्रत्याशी बनाया जाना माना जाता है, लेकिन बार-बार BJP यह गलती नहीं दोहराना चाहेगी। ऐसे में स्थानीय प्रत्याशी को टिकट मिले, बीजेपी की यही कोशिश है। बीजेपी द्वारा हाल में ही कराए सर्वे में कुल 10 लोगों ने उम्मीदवारी के लिए ताल ठोका है। इसमें ब्राह्मण, कुर्मी, कायस्थ और पिछड़ा वर्ग के लोग शामिल हैं।
ओझा के आगे नहीं टिकते दूसरे
विधानसभा चुनाव में जाति समीकरण के लिहाज से BJP किसी ब्राह्मण को ही यहां से प्रत्याशी बना सकती है और ब्राह्मण प्रत्याशियों में राजीव ओझा और विक्रम पांडेय का नाम सबसे आगे है। हालांकि विक्रम पांडेय के पिता बेरमो विधानसभा से चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। ऐसे में टुंडी सीट पर उनका दावा कमजोर दिख रहा है। साथ ही टुंडी के स्थानीय नहीं होना भी एक कारण हो सकता है। ज्ञान रंजन सिन्हा कायस्थ जाति से हैं, लेकिन टुंडी विधानसभा में जातिगत समीकरण के मामले में वे काफी पिछड़ते नजर आ रहे हैं। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें काफी कम वोट मिला था। खराब प्रदर्शन के कारण उनकी भी दावेदारी कमजोर मानी जा रही है।
राजीव ओझा को टिकट मिलना तय
ऐसे में तमाम समीकरण राजीव ओझा के पक्ष में है। टुंडी में पिछड़ा, कुम्हार, तेली जैसे वर्ग जो BJP के कोर वोटर हैं, उनका समर्थन राजीव ओझा के पक्ष में ज्यादा दिखता है। ऐसे में उम्मीद है कि BJP उन पर भरोसा कर सकती है। सामान्य परिवार से आने वाले राजीव ओझा की परिवारिक पृष्ठभूमि RSS और BJP की रही है। पिछले विक्रम पांडे को BJP ने टिकट दी थी, लेकिन वो चुनाव हार गए थे। टुंडी विधानसभा के राजनीतिक पंडितों का मानना है कि राजीव ओझा को BJP से टिकट मिलना तय है।