आलोक कुमार सिंह की रिपोर्ट
रांची: हिन्दुस्तान 24 की ख़बर का बड़ा असर हुआ है। झारखंड में उत्पाद सिपाही भर्ती प्रक्रिया के दौरान दौड़ के क्रम में हुई असामयिक मौतों ने पूरे राज्य में शोक और चिंता की लहर पैदा कर दी है। इन दुखद घटनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तत्काल कदम उठाते हुए भर्ती प्रक्रिया को तीन दिनों के लिए स्थगित करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं से बचने के लिए व्यापक बदलावों का निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “इन घटनाओं से मैं अत्यंत मर्माहत हूँ। यह न केवल हमारे लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है।” उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बनाए गए नियमावली की अविलंब समीक्षा की जाएगी, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार, अब दौड़ सुबह 9 बजे के बाद आयोजित नहीं की जाएगी। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि धूप और थकान के कारण होने वाले शारीरिक दबाव को कम किया जा सके। इसके अलावा, जिन अभ्यर्थियों को दौड़ से पहले स्वास्थ्य परीक्षण की आवश्यकता होगी, उनके लिए चिकित्सकीय सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि सभी प्रतिभागियों को दौड़ से पहले उचित नाश्ता और फल उपलब्ध कराया जाए, ताकि कोई भी भूखे पेट इस शारीरिक परीक्षा में हिस्सा न ले सके।इन असामयिक मौतों के पीछे के कारणों की गहराई से जांच करने के लिए एक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की समिति का गठन किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हम यह जानना चाहते हैं कि आखिर क्यों हमारे समाज के अपेक्षाकृत स्वस्थ और चुस्त युवा, जो इस प्रकार की परीक्षाओं के लिए योग्य होते हैं, इस तरह की त्रासद घटनाओं का शिकार हो रहे हैं।” समिति की रिपोर्ट आने के बाद आवश्यक सुधार किए जाएंगे, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। इस त्रासदी के शिकार हुए परिवारों के लिए मुख्यमंत्री ने तत्काल राहत पैकेज तैयार करने के निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने कहा, “हम पीड़ित परिवारों के दुख को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उनके साथ हमारी सरकार पूरी मजबूती से खड़ी है।” विपक्षी बीजेपी समेत दलों ने भी इस घटना पर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की हैं और राज्य सरकार से इस मामले में कठोर कदम उठाने की मांग की है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, “यह घटना बेहद दुखद और चिंताजनक है। सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में तत्काल कार्रवाई करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।”इस बीच, भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने वाले अन्य अभ्यर्थियों में भी डर का माहौल है। कई अभ्यर्थियों ने मांग की है कि भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से सुरक्षित और पारदर्शी बनाया जाए। एक अभ्यर्थी ने कहा, “हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए इस परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन हमें इस प्रकार की घटनाओं से डर लगता है।”इस घटना ने राज्य सरकार को एक बार फिर से अपने स्वास्थ्य और भर्ती नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है।