पुलिस और कोयला तस्करों के बीच सट्टा, कई अभियुक्तों को मिला बंद माइंस का मौखिक पट्टा

पुलिस और कोयला तस्करों के बीच सट्टा, कई अभियुक्तों को मिला बंद माइंस का मौखिक पट्टा

अमर तिवारी की रिपोर्ट 

धनबाद में पुलिस और कोयला तस्करों के बीच एक नापाक सट्टा हुआ है। इस सट्टे का मजमून ऐसा है कि मौत के सौदागरों, हत्याकांडों के नामजद अभियुक्तों और कई अन्य मामलों में रिकॉर्डेड एवं वांछित लोगों को अवैध कोयला तस्करी के लिए मानो कोयला खानों का पट्टा दे दिया गया हो। शायद यह गैरकानूनी काम अपराध के दायरे में नहीं आता है। बाघमारा पुलिस अनुमंडल के रामकनाली में कौन है रौनक, जो स्थानीय पुलिस की शह पर कोयला का काला खेल मजे से खेल रहा है। तेतुलमारी थाना क्षेत्र के सुरही टांड़ में कौन हैं मिनीगन और वर्मा जी के साथ और दो की चौकड़ी जिन्हें मोदीडीह कोलियरी को बेच देने का ठेका मिला हुआ है।

तेतुलमारी में ओमनी डॉन अमन के साथ सुनील का जलवा कायम है। बाघमारा थाना क्षेत्र के जमुनिया में कौन है रांची का आयुष जो डीएसपी विधि निषेध की ताकत पर सबको मायूस कर रहा है। महुदा में भी सरकारी सत्ताधारी दल के एक डॉन को कोकिंग कोल की तस्करी की खुली छूट मिली हुई है। वैसे ही बरवाअड्डा के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में कोयले की डंपिंग और फिर ट्रांसपोर्टिंग की छूट का राज क्या है। ऐसे ऐसे कई महारथी हैं जिनके ऊपर माइनिंग का मुकदमा पूर्व से है, हत्या के मामले में नामजद हैं और बेल पर बाहर हैं, फिर भी उन्हें अवैध कोल डीलिंग की इजाजत मिली हुई है।

जब कोयले की काली कमाई से जेब भारी होने लगे तो वह राजनीति की ओर रुख करने लगता है। पहले तो किसी दल का टैग लेता है, संरक्षण में कुछ दिन कोयला-लोहा-बालू की हेराफेरी करता है, आमदनी होते ही लग्जरी गाड़ी खरीदता। कोयला की अवैध कमाई से जब खड़ा हो जाता तो बाजार में रूतबा कायम करता। इसके बाद विधायक बनने का सपना देखने लगता और जब कहीं कुर्सी मिल जाए तो अतीत के सारे पाप छुप धूल जाते हैं। पैसा कमाने और नेता बनवाने में पुलिस की काफी भूमिका होती है।

कानून बना गरीबों के गले का फंदा और अमीरों के पैरों की जूती

फिलहाल पूरे धनबाद में यही खेल चल रहा है। इस मनोरंजक खेल की शुरुआत पूर्व एसएसपी संजीव कुमार ने की। कई लोग करोड़ों के मालिक बन गए, एक नहीं कई लग्जरी गाड़ियां हो गई, सबके सीरीज अलग पर वाहन का नंबर एक ही। गले में सोने की मोटी चेन, एपल के दो दो मोबाइल रिबॉक और एडिडास के जूते। चेहरे की रौनक बढ़ गयी।इसमें आजसू, झामुमो, भाजपा के कई लोग गंगा नहा लिए। हराधन और लालटेन पाल जैसे सड़क छाप लोग भी दिन में तारे देखने लगे। कानून गरीबों के गले का फंदा और अमीरों के पैरों की जूती बन कर रह गई।

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