आलोक कुमार सिंह की रिपोर्ट
लातेहार, झारखंड: झारखंड राज्य के मुखियाओं ने अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर 27 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में लातेहार जिले के मुखिया संघ के जिला अध्यक्ष सुभाष कुमार सिंह ने लातेहार के उपायुक्त को एक पत्र के माध्यम से अवगत कराया है। पत्र में सुभाष कुमार सिंह ने बताया कि राज्यभर के सभी मुखिया अपनी लंबित मांगों के निराकरण के लिए हड़ताल पर जा रहे हैं। इस हड़ताल में लातेहार जिले के भी सभी मुखिया शामिल होंगे। मुखिया संघ की प्रमुख मांगों में पंचायती राज वित्त आयोग की राशि का शीघ्र वितरण, आकस्मिक मृत्यु या दुर्घटना के मामलों में मुआवजा, मानदेय में वृद्धि, सरकारी योजनाओं में प्रतिनिधियों के परिवारों का समावेश और वित्तीय शक्तियों की बहाली शामिल हैं।
पंचायती राज वित्त आयोग की राशि का शीघ्र वितरण की मांग: मुखियाओं का कहना है कि पंचायतों को विकास कार्यों के लिए वित्त आयोग द्वारा निर्धारित राशि का जल्द से जल्द आवंटन किया जाए। इस राशि के बिना गांवों में विकास कार्य रुक गए हैं, जिससे जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और पंचायत का विकास नहीं हो पा रही है!
आकस्मिक मृत्यु या दुर्घटना पर मुआवजा:हड़ताल की दूसरी प्रमुख मांग है कि कार्यकाल के दौरान किसी भी मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, प्रमुख, या जिला परिषद सदस्य की आकस्मिक मृत्यु या दुर्घटना की स्थिति में उनके परिवार को 30 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। यह मुआवजा उनके परिवार के भरण-पोषण हो सके।
मानदेय में वृद्धि की मांग: तीसरी मांग में मुखियाओं ने केरल राज्य के तर्ज पर अपना मानदेय 30 हजार रुपये प्रतिमाह करने की मांग की है। वर्तमान मानदेय से उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कठिनाई हो रही है।
सरकारी योजनाओं में समावेश: चौथी मांग में मुखियाओं ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि वर्तमान में चल रही योजनाओं जैसे कि मईया सामान्य योजना और अबुआ आवास योजना में मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, और जिला परिषद सदस्य के परिवारों को शामिल किया जाए।
वित्तीय शक्तियों की बहाली की मांग: पांचवीं और अंतिम मांग में मुखियाओं ने जोर दिया है कि बिना जांच के किसी भी मुखिया की वित्तीय शक्तियां निलंबित न की जाएं। जिन मुखियाओं की वित्तीय शक्तियां जप्त की गई हैं, उन्हें तुरंत बहाल किया जाए।
जिले में विकास कार्यों पर पड़ेगा असर: हड़ताल के कारण जिले में चल रहे विकास कार्यों पर भी असर पड़ सकता है। लातेहार मुखियाओं का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे अपने पदों से हटने का कोई इरादा नहीं रहेगा!