कांग्रेस के दावेदारों की स्क्रीनिंग : नरक में भी ठेला ठेली

कांग्रेस के दावेदारों की स्क्रीनिंग : नरक में भी ठेला ठेली

अमर तिवारी की रिपोर्ट – धनबाद : झारखंड में आसन्न विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने अपनी तैयारी को रफ्तार दे दी है। कांग्रेस पार्टी द्वारा गठित झारखण्ड की स्क्रीनिंग कमिटी हजारीबाग के बाद शुक्रवार को धनबाद पहुंची। सर्किट हाउस में स्क्रीनिंग कमिटी ने सभी छह विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट के लिए दावेदारी पेश करनेवाले करीब 200 दावेदारों से मिलकर उनकी उम्मीदवारी का आधार जाना। उन सभी दावेदारों से विन्दुवार जानकारी ली। स्क्रीनिंग कमिटी में चेयरमैन गिरीश चोडनकर और दो सदस्य प्रकाश जोशी व पूनम पासवान हैं। स्क्रीनिंग कमिटी ने कार्यकर्ताओं से भी उनके चहेते चेहरे का पक्ष जाना।

स्क्रीनिंग कमिटी के आगमन को लेकर सर्किट हाउस में भारी गहमा गहमी रही। सभी दावेदार अपने – अपने समर्थकों के साथ पहुंचे थे। स्क्रीनिंग कमिटी पहले एक साथ सभी छह विधानसभा क्षेत्रों से आई महिला उम्मीदवारों से मिली। इसके बाद सर्किट हाउस में विधानसभा वार दावेदारों से स्क्रीनिंग कमिटी ने वार्ता की। सदस्य पूनम पासवान ने बताया कि स्क्रीनिंग कमिटी की बैठक प्रदेश स्तर पर हुआ करती थी, यह पहली बार हुआ है कि राहुल गांधी के मार्गदर्शन में ग्राउंड लेवल पर स्क्रिनिंग कमिटी की बैठक की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव में बोरो प्लेयर नहीं होगा। दावेदार अपने को ठगा महसूस नहीं करेंगे, जीतने वाले जो कैंडिडेट हैं, जो जमीनी नेता हैं उन्हें ही पार्टी टिकट देगी। धनबाद विधानसभा क्षेत्र से सर्वाधिक लगभग 60 दावेदारों ने अपनी दावेदारी पेश की है। उन सभी दावेदारों से स्क्रीनिंग कमिटी ने मुलाक़ात कर उनसे उनका कर्म धर्म, इतिहास-भूगोल जाना। सबने खुद को सर्वाधिक योग्य बताया और पार्टी का समर्पित सिपाही होने का दावा प्रस्तुत किया। सबने अपनी वकालत की।

झरिया सीट से सिटिंग एमएलए पूर्णिमा नीरज सिंह ने कहा कि स्क्रीनिंग कमिटी हम सब के बीच आयी है। हर बार टिकट के लिए दावेदार दिल्ली की जो भाग दौड़ लगाते थे, उसे खत्म करने के लिए पार्टी ने यह एक बेहतर तरीका अपनाया है। झरिया सीट से कई और दावेदारों के सामने आने के मुद्दे पर कहा कि यह सभी का हक है ।और दावेदारी करने तो लोग आएंगे ही। बाघमारा से भी जलेश्वर महतो, रणविजय सिंह और रोहित यादव ने अपना अपना हक जताया है।

बहरहाल जिसने पिछले पांच सालों में कभी किसी मसले-मोर्चे पर भाजपा के सांसद और विधायक का काउंटर किया नहीं, आज चले आए टिकट की दावेदारी करने। कभी कोई बड़ा आयोजन कार्यक्रम किया नहीं, जनसेवा के नाम पर अपनी दुकानदारी की, आज नरक में ठेला ठेली करने पहुंच गए। जो हो जैसा हो संतोष सिंह ने विपक्षियों से जुबानी जंग ही सही, हमेशा मुखर रहे। दूसरा नाम अशोक सिंह का है, जिन्होंने कई बड़े कार्यक्रमों का बीड़ा उठाया, कोरोनाकाल से आज की तारीख तक सेवारत हैं। उन्होंने भी सांसद और विधायक के विरुद्ध हमेशा मोर्चा खोला है।

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