आलोक कुमार सिंह की रिपोर्ट लातेहार, झारखंड : मनिका विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व विधायक हरे कृष्णा सिंह के प्रति उनके अपने समुदाय, खासकर खरवार जाति के लोगों की नाराजगी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। सिंह ने 2009 से 2019 तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन इस दौरान उनका अपने जाति और अन्य समुदाय के लोगों के साथ समन्वय नहीं बन सका। यही वजह है कि अब उनके ही समुदाय के लोग उनसे नाराज हैं।
खरवार जाति के लोग आरोप लगा रहे हैं कि विधायक रहते हुए सिंह ने उन्हें साथ लेकर चलने में विफलता दिखाई, जिससे उनके हितों की अनदेखी हुई। इस नाराजगी के चलते अब जब भाजपा से टिकट वितरण की बात हो रही है, तो सवाल उठता है कि अगर हरे कृष्णा सिंह को दोबारा टिकट मिलता है, तो क्या वह अपने जाति और क्षेत्र के लोगों का समर्थन हासिल कर पाएंगे या नहीं? क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों के बीच यह मांग जोर पकड़ रही है कि इस बार किसी नए प्रत्याशी को मौका दिया जाए। समाजसेवी और आदिवासी नेताओं का कहना है कि नए चेहरे से न केवल जातिगत संतुलन बनेगा, बल्कि विकास कार्यों को भी गति मिलेगी।
स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि नए प्रत्याशी से क्षेत्र में उत्साह और ऊर्जा का संचार होगा, जिससे पार्टी को चुनाव जीतने में मदद मिल सकती है। इस बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा हरे कृष्णा सिंह को टिकट देकर जोखिम उठाती है या फिर किसी नए चेहरे को आगे कर क्षेत्र की जनता को साधने का प्रयास करती है। चुनाव से पहले जातिगत समीकरण और विकास के मुद्दे भाजपा के सामने अहम चुनौती बनकर खड़े हैं।