झारखंड की राजनीति ऐसे मोड़ पर है, जहां विधानसभा चुनाव की आहट गाहे-बगाहे सुनते को मिलती है और ऐसा लाजिमी भी है। फिर चाहे वो सरकार के ताबड़तोड़ फैसले हो या फिर विपक्ष का सरकार पर हमलावर होना। यह सब इसी का इशारा है, कि झारखंड में चुनाव का बिगुल बजने वाला है। बस वक्त का इंतजार है, लेकिन झारखंड के एक ऐसे जिले का जिक्र जरूर होता है, जहां की सियासत सिर्फ 2 पार्टियों के इर्द-गिर्द ही घूमती रही। विकास के नाम पर खूब वोट बटोरे गए, जनता को मिला टांय-टांय फिस… विकास के नाम पर सिर्फ छलावा, अरमानों का गला घोंटा गया। सपनों और उम्मीदों ने जैसे लोगों से भी पीछा छुड़ा लिया, लेकिन यहां के लोगों में एक उम्मीद की किरण अभी भी बची है और वो शख्स उनके बीच मौजूद है।
हम बात कर रहे हैं जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र की। जामताड़ा….झारखंड का वो जिला जो सुर्खियों में अगर रहा तो सिर्फ अपनी बदनामी के लिए। कई वेब सीरीज बनी। जिसमें आपको जामताड़ा की कहानी मिल जाएगी। सवाल है कि आखिर जामताड़ा की इस बदनामी के लिये कौन जिम्मेदार है ? वो अनपढ़ और शातिर लड़के या फिर वो सियासतदान, जिन्होंने जामताड़ा में विकास के नाम पर लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया, लेकिन अब जामताड़ा की जनता जाग चुकी है, लोगों में इस बात का आक्रोश है कि आखिर विकास के नाम पर वोट लेने वाले राजनेता जमीनी हकीकत में वो काम क्यों नहीं करते ?
हालांकि इन सबके बीच जामताड़ा के लोगों की एक ही उम्मीद बची है और वो हैं दुबराज मंडल… ये वो नाम है, जिन्होंने राजनीति सिर्फ वोट बैंक के लिए नहीं की, बल्कि समाज सेवा के लिए सियासत के मैदान में उतरे। बीजेपी नेता दुबराज मंडल पर इस पर जनता टकटकी लगाए बैठी है। इस उम्मीद में कि उनके दुख दर्द को समझने वाला कोई नेता तो उनके बीच है और वो भी क्यों ना। एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखने वाले दुबराज मंडल ने समाज सेवा की भावना से सियासत के मैदान में कदम रखा। पूरे विधानसभा के लोगों को अपना परिवार समझा।
आपको शायद ही ये जानकारी हो कि दुबराज मंडल शुरुआती दिनों में कंपाउंडर की जॉब करते थे, मरीजों की सेवा की। अपने प्रखंड के लोगों की समस्याओं को करीब से देखा। उन दिनों शिक्षा का ऐसा आभाव था कि लोगों को इसके प्रति जागरूक करना भी सबसे बड़ी चुनौती थी, लेकिन इन चुनौतियों से पार पाने के लिए दुबराज मंडल ने अपने पैर पीछे नहीं खीचे…बल्कि लोगों की सेवा करने का जज्बा ठान लिया। दुबराज मंडल के इसी लगन को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय साक्षरता मिशन का प्रखंड कॉर्डिनेटर भी नियुक्त किया गया था। इस दौरान उन्होंने अपने प्रखंड में अभूतपूर्व काम किये। बाल श्रम, बाल विकास शिक्षा जैसे मुद्दों पर भी काम करते हुए लोगों को भी जागरूक किया। महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया। महिलाओं को कैसे आत्मनिर्भर बनाया जा सके, इस लिहाज से भी दुबराज मंडल ने कई कदम उठाए। साथ ही पल्स पोलियो अभियान में भी अपना योगदान दिया।
दुबराज मंडल, जामताड़ा के कद्दावर बीजेपी नेता माने जाते हैं और जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र से वो टिकट के प्रबल दावेदार भी हैं। इसके पीछे की वजह है जनता का उनके प्रति लगाव। जन चौपाल के जरिए दुबराज मंडल ना सिर्फ लोगों की समस्याएं सुनते हैं, बल्कि उनका समाधान भी करने की भरसक कोशिश करते हैं। दुबराज मंडल के मुताबिक इस बार जामताड़ा की जनता ने परिवर्तन का मन बना लिया है, हालांकि टिकट के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये पार्टी आलाकमान पर ही निर्भर करता है, लेकिन इतना तय है कि जामताड़ा में सियासत का चक्रव्यूह भेदने के लिए दुबराज मंडल ने कमर कस ली है। उन्होंने कहा कि जामताड़ा की जनता अब विकास चाहती है, विकास के नाम पर सिर्फ 2 पार्टियों ने लोगों को गुमराह करने का काम किया। जनता अब पूरी तरह तैयार है, मौका विधानससभा चुनाव का है।