आलोक कुमार सिंह की रिपोर्ट
बड़कागांव, झारखंड : झारखंड राज्य की कांग्रेस विधायक अम्बा प्रसाद ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर झारखंड राज्य अवर वन सेवा क्षेत्र कर्मी नियमावली वर्ष 2014 की अधिसूचना संख्या-4068 (दिनांक 04.09.2014) में किए गए संशोधनों को वापस लेने की मांग की है। इन संशोधनों के कारण वनरक्षियों के 1315 पदों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिससे राज्यभर के वनरक्षियों में इस संशोधन से असंतोष व्याप्त है।
विधायक अम्बा प्रसाद ने अपने पत्र में बताया कि इस अधिसूचना में किए गए संशोधन वनरक्षियों के हितों के विपरीत हैं। इसके तहत अन्य प्रतिस्पर्धियों को वनरक्षियों के पदों पर नियुक्त किए जाने का प्रावधान किया गया है, जो वनरक्षियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के संशोधनों से वनरक्षियों के भविष्य पर गहरा असर पड़ रहा है और उनकी नौकरी खतरे में है।
विधायक ने यह भी उल्लेख किया कि इन संशोधनों के खिलाफ झारखंड उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की गई है, जिसमें न्यायालय ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया है। वन सेवा संघ ने भी इन संशोधनों को रद्द करने की पुरजोर मांग की है और झारखंड सरकार से वनरक्षियों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध की गई है। वन सेवा संघ के अनुसार, इस अधिसूचना के कारण वनरक्षियों के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं, जिससे उनके अधिकारों पर आघात पहुंचा है।
संघ के मंत्री मनोरंजन कुमार कहना है कि सरकार को इस अधिसूचना को तुरंत रद्द करके वनरक्षियों के हितों की रक्षा करनी चाहिए। विधायक अम्बा प्रसाद ने अपने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अनुरोध किया है कि वे इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और वनरक्षियों के हितों को ध्यान में रखते हुए अधिसूचना को रद्द करने की दिशा में कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि सरकार को वनरक्षियों के अधिकारों और रोजगार की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि झारखंड के वनरक्षियों के मनोबल बना रहे और वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही तरीके से करते हुए वन जीव के साथ-साथ जंगल पर सुरक्षा हो सके।