आलोक कुमार सिंह की रिपोर्ट
लातेहार, झारखंड : लातेहार के गारू प्रखंड का कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. यह विद्यालय ग्रामीण इलाकों की उन बच्चियों के लिए वरदान साबित हो रहा है, जो आर्थिक तंगी और सामाजिक पिछड़ेपन के कारण शिक्षा से वंचित रह जाती थीं. इस विद्यालय ने न केवल शिक्षा के प्रति बच्चियों के नजरिए को बदला है, बल्कि उनके जीवन स्तर और सामाजिक स्थिति में भी सुधार लाया है लातेहार का नक्सल प्रभावित गारू प्रखंड के लोगों के शिक्षा का स्तर चिंता का विषय रहा है. ऐसे में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की स्थापना से इस क्षेत्र में शिक्षा का नया सवेरा हुआ है.
कस्तूरबा स्कूल में पढ़ रही हैं 485 बच्चियां
वर्तमान में विद्यालय में 485 बच्चियाँ नामांकित हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में बल्कि खेलकूद, कला और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में भी अपने नाम का डंका बजाया है. इस वर्ष की इंटरमीडिएट परीक्षा में विद्यालय की 47 बच्चियों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से 44 ने प्रथम श्रेणी में सफलता हासिल की, जबकि 3 ने द्वितीय श्रेणी प्राप्त की. इसी तरह, मैट्रिक की परीक्षा में कुल 68 छात्राओं ने भाग लिया, जिसमें से 53 ने प्रथम श्रेणी और 14 ने द्वितीय श्रेणी में सफलता प्राप्त की. इसके अलावा, इंटरमीडिएट में निशा कुमारी ने 405 अंक प्राप्त कर विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि काजल कुमारी और विनीता तेलर ने क्रमशः 403 और 397 अंक प्राप्त कर द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया. मैट्रिक परीक्षा में काजल कुमारी ने 420 अंक हासिल कर प्रथम स्थान प्राप्त किया, वहीं रेशमी कुमारी ने 404 अंक और अंशु कुजूर ने 396 अंक प्राप्त कर द्वितीय और तृतीय स्थान पर अपनी जगह बनाई. विद्यालय की वार्डन रेशमा लकड़ा, जिन्दी रोसे किंडो और संगीता मंजू टोप्पो, और असिस्टेंट टीचर सतीश कुमार, सुधीर कुमार, विनीता मिंज, मार्यस्टेला मिंज और संजीता तिग्गा, इन बच्चियों को न सिर्फ शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि उनके जीवन को नई दिशा देने का कार्य भी कर रहे हैं.
संसाधनों की कमी के बीच छात्राएं लहरा रहीं सफलता का परचम
वार्डन रेशमा लकड़ा ने बताया कि विद्यालय में मैथ और फिजिकल के शिक्षकों की कमी है, फिर भी वे हर संभव प्रयास कर रही हैं कि बच्चियों को बेहतर शिक्षा मिल सके.इस विद्यालय में बच्चियों को शैक्षणिक शिक्षा के साथ-साथ जीवन में अनुशासन, संस्कार, और सामाजिक जिम्मेदारियों का भी पाठ पढ़ाया जाता है. खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में बच्चियों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके.इसके परिणामस्वरूप, इस विद्यालय की छात्राएँ विभिन्न जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी हैं, जिनमें से कई बच्चियों को जिले के अधिकारियों द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है. कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय गारू प्रखंड के लिए एक मिसाल बन चुका है, जहां सीमित संसाधनों के बावजूद बच्चियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है. इस विद्यालय ने न केवल गारू प्रखंड में शिक्षा का स्तर उठाया है, बल्कि उन बच्चियों के जीवन में भी आशा की किरण जगाई है, जो कभी शिक्षा से वंचित थीं. शिक्षा के क्षेत्र में इस विद्यालय का यह योगदान पूरे राज्य के लिए प्रेरणास्रोत बन रहा है.