आलोक कुमार सिंह की रिपोर्ट
लातेहार, झारखंड : झारखंड राज्य अवर सेवा संघ के पलामू प्रमंडल के आंदोलनकारी वनरक्षियों ने राज्य सरकार द्वारा हाल ही में किए गए वनरक्षी नियुक्ति नियमावली में संशोधन का विरोध तेज कर दिया है। मंगलवार को इन आंदोलनकारियों ने मनिका विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक रामचंद्र सिंह को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में सरकार से 2014 की वनरक्षी नियुक्ति नियमावली को बहाल करने की मांग की गई है।
ज्ञात हो कि राज्य सरकार ने 7 अगस्त को एक कैबिनेट बैठक में वनरक्षी नियुक्ति नियमावली 2014 में बदलाव करते हुए “झारखंड राज्य अवर वन सेवा नियमावली 2024” को मंजूरी दी। इस नए संशोधन के अनुसार, वनपाल पद पर नियुक्ति के लिए अब 50 प्रतिशत सीधी भर्ती का प्रावधान किया गया है, जबकि पूर्व में यह पद सौ प्रतिशत प्रमोशन के माध्यम से भरा जाता था। साथ ही, इस संशोधन में वनरक्षकों के 1315 पदों को प्रधान वनरक्षी पद के लिए सृजित किया गया है। संशोधन के बाद राज्यभर में वनरक्षियों में असंतोष फैल गया है, और वे पांच दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
आंदोलनकारियों का कहना है कि यह नया संशोधन उनकी सेवा शर्तों के विपरीत है और इससे उनके भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ज्ञापन में उन्होंने मांग की है कि राज्य सरकार 2014 की वनरक्षी नियुक्ति नियमावली को पुनः लागू करे। इसके अतिरिक्त, उन्होंने वनरक्षी एवं वनपाल के लिए 1 करोड़ रुपये का जीवन बीमा, सभी वनरक्षियों को 24 ग्रेड पे का लाभ, राशन भत्ता, वर्दी भत्ता, 13 महीने का वेतन, और फिक्स टीए जैसी अन्य मांगें भी रखी हैं।
विधायक रामचंद्र सिंह ने आंदोलनकारियों की समस्याओं को गंभीरता से सुना और उन्हें आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष पुरजोर तरीके से उठाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए वनरक्षियों की जायज मांगों पर विचार करना चाहिए, ताकि इस वर्ग के कर्मचारी अपनी सेवाएं सुचारू रूप से दे सकें। आंदोलनकारियों में पंकज कुमार पाठक, अमृत कुमार, संतोष सिंह, रजनीश सिंह, अखलेश सिंह, निर्भय कुमार, अरुण कुमार, रोहित कुमार, जितेंद्र कच्छप , अजीत पोल एक्का और गोरीशंकर समेत दर्जनों वनरक्षी शामिल थे। हड़ताल के चलते राज्य में वन सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के कार्यों पर असर पड़ने भारी असर पड़ रही है। अब देखना यह है कि सरकार वनरक्षियों की मांगों कब तक विचार करती है।