दिल्ली में केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह और कपड़ा राज्य मंत्री पबित्र मार्घेरिटा ने दिल्ली के जनपथ हैंडलूम हाट में आयोजित “विरासत” प्रदर्शनी का दौरा किया. प्रदर्शनी का आयोजन 10वें राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस के उपलक्ष्य में किया गया है. प्रदर्शनी 16 अगस्त तक चलेगी.
केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने की बुनकरों से बात
गिरिराज सिंह ने हथकरघा बुनकरों और कारीगरों से बातचीत की और इस बात पर बल दिया कि सरकार बुनकरों और उनके परिवारों के लिए बेहतर आय के अवसरों के लिए वस्त्र मूल्य श्रृंखला में सुधार करने का प्रयत्न कर रही है. उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा हथकरघा समुदाय है जो स्थिरता और ऊर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित करता है. दुनिया टिकाऊ उत्पादों के उपयोग की ओर बढ़ रही है और हथकरघा शून्य-कार्बन रहित उद्योग है और किसी भी ऊर्जा की खपत नहीं करता है तथा हथकरघा उद्योग शून्य-जल रहित फुटप्रिंट वाला क्षेत्र है.
हैंडलूम के कपड़ों की मांग बढ़ी
पबित्र मार्घेरिटा ने हथकरघा क्षेत्र में प्राकृतिक रंगों के अनुप्रयोग के लाइव प्रदर्शन को देखा.उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में फैशन उद्योग में प्राकृतिक रंगों वाले हथकरघा कपड़ों की भारी मांग बाजार में देखी जाने लगी है. हथकरघा बुनकरों द्वारा प्राकृतिक रंगों के उपयोग से न केवल मूल्यवर्धन होता है बल्कि उनकी आय में भी वृद्धि होती है.
हैंडलूम हाट में किया पौधारोपण
मंत्रियों ने हथकरघा हाट में पौधारोपण कर “एक पेड़ मां के नाम”अभियान को प्रोत्साहित किया. उन्होंने “हर घर तिरंगा” अभियान के तहत हथकरघा बुनकरों और कारीगरों को तिरंगा झंडे भी वितरित किए.
11 बजे रात 8 बजे तक प्रदर्शनी
यह प्रदर्शनी सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक जनता के लिए खुली रहेगी। प्रदर्शनी में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए हथकरघा उत्पाद प्रदर्शित और बिक्री के लिए रखे गए हैं। इनमें कोसा, चंदेरी, मधुबनी, मंगलगिरी, मेखला चादर, मोइरांग फी, इकत आदि शामिल हैं. हैंडलूम हाट में कई गतिविधियाँ भी आयोजित की जा रही हैं, जैसे कि हथकरघा बुनकरों और कारीगरों के लिए 75 स्टॉल, जहाँ वे सीधे उत्पादों की खुदरा बिक्री कर सकेंगे और शीर्ष समितियों, बोर्डों आदि द्वारा 07 स्टॉल, भारत के उत्कृष्ट हथकरघा उत्पादों का क्यूरेटेड थीम प्रदर्शन और हथकरघा हाट में प्राकृतिक रंगों, कस्तूरी कपास, डिजाइन और निर्यात पर कार्यशालाएँ, 12 अगस्त 2024 को बुनकरों और कारीगरों के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर, लोई लूम और फ्रेम लूम का लाइव प्रदर्शन, भारत के लोक नृत्य और स्वादिष्ट क्षेत्रीय व्यंजन आदि.भारत का हथकरघा क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख लोगों को रोजगार देता है, जो देश में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है