हजारीबाग : झारखंड में हजारीबाग के विष्णुगढ़ के कोनार डैम में एक प्रवासी पक्षी गिद्ध पकड़ा गया है। गिद्ध पर बांग्लादेश का डिवाइस लगा हुआ है। गिद्ध के पैर में रिंग लगा हुआ है। गिद्ध काफी थका हुआ भी लग रहा है। पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है। गिद्ध के पैर में लगे रिंग में ढाका लिखा है और कुछ नंबर भी अंकित है। इसके बाद इसको लेकर शहर में तरह तरह की बातें होने लगीं। यह बात आग की तरह पूरे क्षेत्र में फैल गई कि एक जासूस गिद्ध हजारीबाग में मिला है।
एक और बात जो लोगों के दिमाग में कौंध गयी कि बांग्लादेश में सियासी तनाव, हिंसा के बीच एक गिद्ध का भारत में कैसे मिला। इतना ही नहीं बात यहां तक बात चली गई कि बांग्लादेश से बना हुआ डिवाइस गिद्ध में लगा हुआ है, जो जासूसी के क्रम में यहां पर पहुंचा। इन बातों और बल तब मिला जब गिद्ध के पैरों को देखने पर पता चला कि एक रिंग उसके पैर में लगी और जिसमें बांग्लादेश की राजधानी ढाका लिखा है और उसमें कई नंबर्स भी अंकित हैं। काफी ऊहापोह की स्थिति के बीच इस गिद्ध का बारीकी से निरीक्षण किया गया। इसके साथ गिद्ध की पीठ पर लगे डिवाइस को किसी जानकार व्यक्ति को दिखाया गया। इस ट्रैकिंग डिवाइस की बारीकी से जांच करने पर उन तमाम अटकल पर विराम लग गया, जो कुछ देर के लिए शहर के लोगों के बीच खूब चर्चा में थी।
पक्षी पर काम करने वाले शोधकर्ता ने इन तमाम अफवाहों पर विराम लगा दिया। इसके साथ ही गिद्ध पर लगाए गये इस ट्रैकर के बारे में विस्तृत जानकारी दी। शोधकर्ता का कहना है कि ये गिद्ध काफी सफर तय करके आया है जो काफी थका हुआ भी लग रहा है। यह एक प्रकार ट्रैकिंग डिवाइस है जो सीधे सैटेलाइट से जुड़ा रहता है। दरअसल आरएसबीपी (Royal Society for the Protection of Birds) जो भारत में बीएनएस (Bombay Natural History Society) के साथ मिलकर काम कर रही है. यह पक्षी पर शोध करती है।
शोधकर्ता ने कहा कि इस गिद्ध पर यह ट्रैकर बांग्लादेश के खुलना में लगाया गया था। यह देखा जा रहा था कि गिद्ध प्रवास के लिए किन-किन स्थानों पर जाती है। भोजन की तलाश में इनका क्षेत्र कहां तक फैला हुआ है। इसी अनुसंधान को लेकर यह ट्रैकर लगाया गया था। शोधकर्ता ने इस बाबत संस्था से वार्ता भी की है, जिन्होंने यह बताया कि ये गिद्ध बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के खड़कपुर, धनबाद होते हुए हजारीबाग पहुंचा है। संस्था का यह भी कहना है कि अगर यह पक्षी कहीं मिल जाए तो संपर्क करें। गिद्ध के पैर में लगे रिंग में ढाका लिखा है और कुछ नंबर भी अंकित है।
शोधकर्ता का यह भी कहना है कि यह अफवाह फैल रहा है कि यह ट्रैकर जासूसी के लिए उपयोग में लाया जा रहा था जो सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में भारत में भी पंछियों पर अन्वेषण और उनकी गिनती करने के लिए भी पैरों में एक चिन्ह लगाया गया था। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस प्रकार के अफवाहों पर ध्यान न दिया जाए और इस प्रकार के पक्षियों को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचाया जाए।
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