कोलकाता के अस्पताल में ‘निर्भया कांड’! लेडी डॉक्टर से पहले रेप, फिर बेरहमी से मर्डर ! 

कोलकाता के अस्पताल में ‘निर्भया कांड’! लेडी डॉक्टर से पहले रेप, फिर बेरहमी से मर्डर ! 

पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर से हुई दरिंदगी ने हर किसी को हिलाकर रख दिया। आरोपों के मुताबिक लेडी डॉक्टर से पहले रेप किया गया, फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की घटना पर कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत कुमार गोयल ने कहा “… मृतका का पोस्टमार्टम हो चुका है, और प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की गई है… जांच के लिए एसआईटी का गठन भी किया गया है… हमने सभी तरह के साक्ष्यों का विश्लेषण किया है और इसके आधार पर हमने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसे कोर्ट ने 14 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया है..

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने 9 अगस्त को अस्पताल में एक महिला पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी (पीजीटी) डॉक्टर के यौन उत्पीड़न और हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया। पश्चिम बंगाल भाजपा कार्यकर्ताओं ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जहां दूसरे वर्ष की मेडिकल छात्रा मृत पाई गई।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर सौरव गांगुली ने कहा, “यह एक दुर्भाग्यपूर्ण और जघन्य घटना है, इस पर सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है। यह बिल्कुल सही नहीं है। महिला सुरक्षा को लेकर और नज़रदारी की ज़रूरत है। यह किसी भी जगह हो सकता है तो ऐसा न हो इसके लिए सिर्फ अस्पताल ही नहीं बल्कि सभी जगह पर CCTV कैमरा और सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने की आवश्यकता है…”

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की घटना पर तृणमूल कांग्रेस महासचिव व सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, “यह घटना बेहद जघन्य है, राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से ली रही है और 24 घंटे के अंदर एक अभियुक्त को गिरफ़्तार किया गया है… बलात्कारी की कोई पहचान नहीं होती चाहे वह पुलिसवाला हो, मजदूर हो, या कुछ और। आरोपी एक खूनी है… मैंने देखा कि कई राजनीतिक दल झंडे लेकर सड़कों पर उतरे थे। हमें इसके बजाय अध्यादेश या विधेयक लाना चाहिए ताकि 7 दिनों में त्वरित न्याय मिल सके। विरोध कर रहे भाजपा नेताओं को बलात्कारियों को 7 दिन में सजा दिलाने वाला विधेयक लाना चाहिए और विपक्ष के तौर पर टीएमसी और कांग्रेस का काम विधेयक का समर्थन करना है। मुकदमे में 5-6 साल क्यों लगेंगे? एक मां और पिता ने अपनी बेटी खो दी। इसकी कीमत वही जान सकते हैं। राजनीतिक दलों, मीडिया न्यायपालिका की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वे सामूहिक रूप से परिवार को न्याय दिलाएं…”

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