शहीद शक्ति नाथ महतो जयंती पर विशेष-धनबाद रेलवे जंक्शन शक्तिनाथ महतो के नाम करने की अपील

शहीद शक्ति नाथ महतो जयंती पर विशेष-धनबाद रेलवे जंक्शन शक्तिनाथ महतो के नाम करने की अपील

अमर तिवारी की रिपोर्ट

शहीद शक्ति ने देखा था सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का सपना

सूदखोर-माफियाओं के आतंक से गरीब-असहायों को मुक्त कराने के क्रम में दे दी प्राणों की आहुति 

धनबाद : दो अगस्त 24 शुक्रवार को शहीद शक्तिनाथ महतो की जयंती उनके पैतृक गांव तेतुलमुड़ी, कर्मस्थल तेतुलमारी के बैजकारटांड तथा समाधि स्थल टाटा सिजुआ बारह नंबर (आजाद सिजुआ) में मनाई जाएगी। स्वजनों के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, समाजसेवी, बुद्धिजीवी सहित आमजन उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि देंगे।1970 के दशक में एक युवाजिद्दी क्रांतिकारी नेता को मंजिल पहुंचने के पूर्व शोषक माफियाओं ने सदा के लिए मौत की नींद सुला दी।आज उनके नाम पर केवल जयंती और सहादत दिवस का आयोजन होता है। इससे थोड़ा अधिक शक्ति मेला लगता है। लेकिन जिस वीर पुरुष के नाम धनबाद में कोई सरकारी संस्थान या सड़क होनी चाहिए आज रफ्ता रफ्ता वे गुमनाम होते जा रहे हैं।जो उनकी वीरगाथा जानते हैं उनकी आवाज कोई सुनता नहीं। आज वैसे लोग मुख्यधारा से काट दिए गए हैं।उनके दामाद शिव प्रसाद महतो ने धनबाद रेलवे जंक्शन का नाम शहीद शक्ति नाथ महतो के नाम पर करने की अपील सरकार से की है।

गरीबों , शोषितों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करने वाले शहीद शक्तिनाथ महतो का जन्म 2 अगस्त 1948 को तेतुलमुड़ी बस्ती में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गणेश महतो व मां का नाम सधुवा देवी है। नाम के अनुरूप ही दूसरों को न्याय दिलाने के लिए अंतिम क्षण तक संघर्ष करने वाले शक्ति ने सामाजिक कुरीतियों को दूर करने तथा सूदखोरों के आतंक से गरीब असहाय को मुक्त कराते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

सिजुआ से की प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण

शक्ति ने गांधी स्मारक उच्च विद्यालय सिजुआ से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर आइटीआइ धनबाद में दाखिला लिया। कुमारधुबी में फीटर ट्रेड का प्रशिक्षण प्राप्त कर मुनीडीह प्रोजेक्ट में योगदान दिया। यहीं से शक्ति के जीवन में व्यापक बदलाव आया।

शोषण के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका

मुनीडीह प्रोजेक्ट में काम करने के दौरान कोलियरी क्षेत्र में मजदूरों पर हो रहे शोषण को देख उनका मन विचलित हो उठा। उन्होंने मजदूरों को सूदखोरों के चंगुल से आजाद कराने तथा न्यूनतम मजदूरी दिलाने के लिए आंदोलन का बिगुल फूंक दिया। इसी बीच वह विनोद बिहारी महतो के संपर्क में आए और 21 जनवरी 1971 को शिवाजी समाज की जोगता थाना कमेटी का गठन किया। इसमें शक्ति को मंत्री बनाया गया।

कुरितीयों के खिलाफ छेड़ा मुहिम

विनोद बाबू के संपर्क में आने के बाद शक्ति ने बाल विवाह, दहेज प्रथा, नशा उन्मूलन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। समाज के लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से रात्रि पाठशाला का शुभारंभ किया। आपातकाल के दौरान शक्ति 22 माह तक धनबाद, भागलपुर तथा मुजफ्फरपुर के जेलों में बंद रहे।

माफियाओं की नजर में खटकने लगा था शक्ति

सूदखोरी, न्यूनतम मजदूरी, समाज को जागरूक करने के लिए शक्ति के द्वारा चलाए जा रहे मुहिम के चलते वह माफियाओं की नजर में खटकने लगे। 22 म ई 1975 को मुनीडीह के कारीटांड में हुई बैठक के बाद शक्ति की हत्या की कोशिश की गई। रात गांव में ही बिताने के कारण अपराधियों के कहर से वे तो बच गए, लेकिन उनके तीन साथी शहीद हो गए। 28 नवंबर 1977 का दिन कोयलांचल के लिए काला दिन साबित हुआ और सुबह साढ़े दस बजे सिजुआ में गोली व बम मारकर शक्तिनाथ महतो की निर्मम हत्या कर दी गई

शक्ति ने कहा था: लड़ाई लंबी और कठिन होगी*

शहीद शक्तिनाथ महतो ने कहा था कि लड़ाई लंबी होगी और कठिन भी। इस लड़ाई में पहली पीढ़ी के लोग मारे जाएंगे, दूसरी पीढ़ी के लोग जेल जाएंगे और तीसरी पीढ़ी के लोग राज करेंगे, जीत अन्ततोगत्वा हमारी ही होगी।

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