मधुबन थाना पथराव कांड, नाबालिग सूरज को पुलिस ने बनाया अपराधी, SSP से न्याय की गुहार

मधुबन थाना पथराव कांड, नाबालिग सूरज को पुलिस ने बनाया अपराधी, SSP से न्याय की गुहार

धनबाद ब्यूरो

धनबाद- कानून और न्याय की पहली पंक्ति है कि भले ही सौ दोषी रिहा हो जाये, लेकिन एक भी निर्दोष फंसना नहीं चाहिए। सूरज पांडेय का मामला कुछ वैसा ही है। मधुबन थाना फायरिंग और पथराव कांड से सूरज का कोई लेना देना नहीं है। घटना के दिन वह उस भीड़ का हिस्सा नहीं था, जिसने उपद्रव मचाया था। घटना के बाद अखबारों के माध्यम से उस परिवार को जानकारी मिली कि बेकसूर सूरज का नाम बेवजह कांड में शामिल कर उसे अभियुक्त बना दिया गया है।

इसके तुरंत बाद सूरज के परिजन एसडीपीओ बाघमारा आनंद ज्योति मिंज से मिले और उन्हें सच्चाई से अवगत कराया। इसकी जानकारी थाना प्रभारी को भी दी गई। आश्वासन मिला कि अनुसंधान के क्रम में उसकी संलिप्तता न होने की बात सामने आने पर उसका नाम स्वतः हट जाएगा।इसी बीच परसों मधुबन पुलिस की दोपहिया वाहन जांच ड्राइव के दौरान सूरज पांडेय नामक वह लड़का थाना की गिरफ्त में आ गया। उस लड़के का पकड़े जाना और रिहाई की जमीनी सच्चाई कुछ और है। मामले की असलियत ये है कि लड़का नाबालिग है और कोई कुख्यात अपराधी नहीं है। वह किसी के साथ मोटरसाइकिल पर बैठकर थाना के रास्ते घर जा रहा था। मोटरसाइकिल से थाना का एक कर्मी थोड़ा चोटिल हो गया।

पंद्रह मिनट तक मोटरसाइकिल चालक और सूरज को पुलिस ने बैठाए रखा और फिर मोटरसाइकिल जब्त कर दोनों को छोड़ दिया गया। उस नाबालिग बच्चे को कोई पहचानता भी नहीं। लेकिन थाना के ही किसी कर्मी से उसके पिता की अदावत के कारण मामले को तूल दे दिया गया और राई को पर्वत का रूप। बेचारा सूरज किसी तरह मजदूरी कर अपने हृदय रोगी मां की सेवा करता है और घर की जीविका चलाता है। घटना को ऐसा विभत्स रूप दिया गया कि पुलिस सूरज को चप्पे-चप्पे ढूंढ रही है। सूरज कहीं भाग गया है, उसके माता-पिता और बहन अलग ही परेशान है। सूरज का परिवार कहता है कि हमें न्याय चाहिए फेवर नहीं, लेकिन न्याय में भी भारी देरी हो रही है।

सूरज को न तो पुलिस ने किसी अपराधी की तरह घेरकर पकड़ा था और न वह चकमा देकर भाग निकला था। पुलिस ने आम आदमी की तरह उसे पकड़ा था और आम आदमी की तरह छोड़ा भी था। अब मामले को ऐसा रंग दिया गया मानो पुलिस ने 17 साल के नाबालिग अपराधी को किसी दबाव में छोड़ दिया। मामले का रंगरेज थाने का ही दरोगा महावीर यादव है, जिसने वाहन चेकिंग के दौरान थाना के पास खड़े सूरज की तस्वीर वायरल कर दी थी। मधुबन पुलिस सवालों के घेरे में आ गयी।

अब निर्दोष सूरज को दोषी करार पकड़ना पुलिस की मजबूरी बन गयी। पुलिस ने जाल बिछाकर उसे पकड़ने की ठान ली है। इसके लिए उसके परिवार को परेशान किया जा रहा है। दूसरी ओर इसी कांड में शामिल इसके मुख्य कलाकार पुलिस की पहुंच से दूर हैं। भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि घटना के दिन सूरज के माता-पिता सपरिवार चंद्रपुरा अपना वैवाहिक वर्षगांठ मनाने गए हुए थे।

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