बहु-बेटी के मोह में डूब गई झारखंड कांग्रेस,रवैया नहीं बदला तो पूरी नाव डूब जाएगी विधानसभा चुनाव में

बहु-बेटी के मोह में डूब गई झारखंड कांग्रेस,रवैया नहीं बदला तो पूरी नाव डूब जाएगी विधानसभा चुनाव में

अमर तिवारी की स्पेशल रिपोर्ट

झारखंड में कांग्रेस का लुटिया कांग्रेसियों ने ही डुबाया। ये भी परिवारवाद और भाई भतीजावाद के शिकार हो गए हैं। संगठन को कुंद करने वाले कांग्रेसी पदाधिकारी बन बैठे हैं, धार देने वाले दरकिनार हैं। आदिवासी सुरक्षित दो सीटें खूंटी और लोहरदगा की जीत में उम्मीदवारों की अपनी अपनी भूमिका और साख है। शेष पांच सीटों पर उम्मीदवारों के चयन और और कार्यकर्ताओं की बेरुखी के साथ भितरघातियों की भूमिका अहम रही है।

बाकी के पांच में से तीन सीटों क्रमशः रांची,धनबाद और गोड्डा का सीन कुछ और होता, अगर पार्टी सख्ती से अच्छे उम्मीदवारों को अवसर देती। लेकिन रांची में रामटहल को ह्यूमिलेट कर सुबोधकांत के बेटी प्रेम को अहमियत दी गयी। सुबोधकांत की जिद के आगे पार्टी ने घुटने टेक दिए और यशस्विनी सहाय को टिकट दे दिया। पिक्चर सामने है। कांग्रेस 1 लाख 20 हजार वोटों से हार गई। वहां जेबीकेएसएस के देवेंद्र महतो को जो महतो वोट मिले वो रामटहल की उम्मीदवारी से रुक सकता था। दूसरे रामटहल को टिकट से वंचित करने से उनके प्रभाव का वोट भी भाजपा में चला गया।ये कांग्रेस के लिए सबक है।

यही हाल धनबाद में हुआ। दिग्गज नेताओं से भरे पड़े धनबाद में आपने बाहर के पत्नीप्रेमी अनूप सिंह को तवज्जो दिया,जहां उनकी कोई करनी धरनी नहीं है। धनबाद में बिजय सिंह, पूर्णिमा नीरज सिंह,अशोक सिंह,अजय दुबे जैसे समर्पित कांग्रेस नेता थे। इससे इतर पूर्व सांसद ददई दुबे और भाजपा के रविन्द्र कुमार पांडेय भी कतार में थे। लेकिन पैसों की खातिर शीर्ष कांग्रेस ने अनुपमा को उपकृत करना बेहतर समझा। परिणाम सबके सामने है। अब आप भितरघातियों की तलाश कर चिन्हित करने में जुटे हैं। जहां हकमारी होगी वहां झखमारी और सेंधमारी होगी।अरे भाई रोपे पौध बबूल के तो आम कहां से होय।पैसों के मैनेजमेंट पर ध्यान टिकी थी,पब्लिक प्रबंधन पर नहीं।

कांग्रेस ने धनबाद के कैडरों के बजाय आयातित बंटी और ब्रोका पर एतबार किया। भाजपा प्रत्याशी की पत्नी सावित्री देवी बगैर इंजन के हरेक अपार्टमेंट में गयी और खोंईछा फैलाई। कांग्रेस मुस्लिम के अलावा एक वर्ग विशेष ठाकुर तक ही सिमटकर रह गयी। यहां भी कांग्रेस बहू प्रेम के जाल में फंस गई।

यही हाल गोड्डा में हुआ। दीपिका पांडेय को टिकट देकर पार्टी ने वापस ले लिया। प्रदीप यादव का पूर्व में कई बार प्रयोग हो चुका है। लेकिन उनके हठ के आगे कांग्रेस झुक गयी। नतीजा सामने है। चतरा में भी प्रत्याशी का चयन मंहगा पड़ा।यहां भी कांग्रेस ने पुअर केंडिडेट देकर भाजपा का रास्ता साफ कर दिया। प्रदेश कांग्रेस से जबतक राजेश ठाकुर को हटाया नहीं जाता,पूरे सूबे में बेजान कांग्रेस में जान नहीं आ सकती। विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस अगर एहतियात नहीं बरतती है तो हवाई महल बन सकती पर जमीनी मकान नहीं।

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