जयराम ने उड़ाई सुदेश महतो की नींद, विधानसभा चुनाव से पहले आजसू में खलबली !

जयराम ने उड़ाई सुदेश महतो की नींद, विधानसभा चुनाव से पहले आजसू में खलबली !

अमर तिवारी की स्पेशल रिपोर्ट

झारखंड की राजनीति में टाइगर जयराम की एंट्री से काफी हलचल है।इसने राज्य के एक दर्जन विधानसभा सीटों का समीकरण उलझा दिया है। खासकर जेएमएम और आजसू का चुनावी गणित बिगड़ता दिख रहा है। कुर्मी वोटरों का एक बड़ा हिस्सा जयराम की ओर मुखातिब है।

ये वोट बैंक कभी भी भाजपा के खाते में नहीं रहा है। हां रांची में रामटहल चौधरी और जमशेदपुर में शैलेन्द्र महतो जैसे कुर्मी नेताओं के निजी बुते यह वर्ग भाजपा के साथ रहा है। इस वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने जयप्रकाश भाई पटेल को जेएमएम से तोड़कर पार्टी में एक कुर्मी चेहरा लाया था, लेकिन अब वे कांग्रेस के हो गए हैं। आजसू पर इस जाति की मुहर लगी हुई है, लेकिन इसके सुप्रीमो सुदेश महतो अपने विधानसभा क्षेत्र सिल्ली में ही अमित महतो और उनकी पत्नी के साथ मात खाते रहे।

रामगढ़ में भी किला ढह गया था पर उसकी मरम्मत किसी तरह कर ली गयी। टुंडी में राजकिशोर महतो के बाद कोई वैसा चेहरा पैदा नहीं हुआ जो आजसू की छतरी के नीचे लोगों को समेट कर रख सके। एक गोमिया उनकी सुरक्षित सीट मानी जाती है।लेकिन संपन्न लोकसभा चुनाव में डुमरी और गोमिया दोनों जगह जयराम ने सबकी वंशी बजा दी है।

जयराम को रोकने के लिए सुदेश महतो ने अभी से अपना कैम्पेन शुरू कर दिया है।इसबार के लोकसभा चुनाव में कुर्मी मतदाताओं ने सबको नकारते हुए जयराम की झोली में अधिसंख्य वोट डाले हैं। इससे अजसुपा की नींद हराम हो गयी है।

इतना ही नहीं टुंडी में तो झामुमो के भी होश उड़े हुए हैं। जयराम के राजनीतिक गलियारे से जो बात बाहर आ रही है उसके मुताबिक टुंडी से विदेश दां, माना पाठक,मनीर मस्तान या फिर विजय मंडल जेबीकेएसएस के उम्मीदवार हो सकते हैं। इस निमित्त कई दौर के चर्चे भी हो चुके हैं।चर्चा यह भी है कि सुदेश महतो सिल्ली में खतरे की आशंका को अभी से भांप रहे हैं, लिहाजा टुंडी सीट को आजसू के कोटे में लाकर भाजपाइयों के सहयोग से खूंटा गाड़ने की तैयारी में जुटे हुए हैं। जयराम की पार्टी भी सिर्फ स्वजातीय वोटरों के सहारे नैया पार नहीं लगा सकती।

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यहां फिर एकबार मथुरा महतो,सुदेश महतो या आजसू से कोई और महतो और जयराम की पार्टी से भी कोई महतो गिरिडीह लोकसभा के तर्ज पर टकराते हैं या इनमें कोई गैर कुर्मी उम्मीदवार भी होगा।अगर सीट भाजपा की ही रही और बाबूलाल का चलेगा तो यहां से ज्ञान रंजन सिन्हा की लॉटरी लग सकती है। ज्ञान रंजन उनके खास चहेते रहे हैं और उस परिवार की पूरे टुंडी में शाख भी है।

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